शुक्रवार, 14 मई 2010

सेकुलर ज़ज़िया ....

सेकुलर भारत की इस्लामिक स्टेट में हिन्दू तीर्थ यात्रिओं पर अब 'ज़ज़िया थोड़ा और बढ़ा दिया गया है। अब की बार जो हिन्दू अमरनाथ यात्रा पर जाएंगे उन्हें अधिक टैक्स देना होगा। पंजीकरण के लिए १५/- प्रतीयेक यात्री को देने होंगे
यात्रिओं और यात्रा का सामान ढोने वाली बसों और ट्रकों का 'ज़ज़िया' भी अब बढ़ा कर ३००/- से २३००/- प्रति दिन कर दिया गया है। जो दानी सज्जन यात्रिओं के लिए खाने पीने के प्रबंध हेतु 'लंगर' लगाने की' हिमाकत' करेंगे अब उन्हें भी १५०००/- 'ज़ज़िया देना होगा। अब लंगर के लिए स्थान भी ८०% कम दिया जाएगा कियोंकि पिछले साल हमारे कश्मीरी भाइयों ने इस स्थान को लेकर ही बहुत से एतराज़ उठे थे।
वैसे तो पिछले ६३ साल से हम किसी न किसी रूप में यह ज़ज़िया देते आ रहे हैं। केंद्र की सेकुलर सरकार नेहरु काल से ही कश्मिरिओन पर कुछ कास मेहरबान रही है। केंद्र सभी राज्यों को उनकी माली दशा या दुर्दशा के अनुरूप प्रति वर्ष सहायता राशि आबंटित करता है। देश के अति पिछड़े बिहारी के लिए यह राशी जहाँ ८००/- है तो देश के उच्चतर पर कैपिटा आय वाले कश्मीरियो के लिए १००००/- और वह भी न वापसी योग्य। यह सहायता भी तो हमारे द्वारा दिए कर से ही तो दी जाती है। एक तरहां का यह एक ज़ज़िया ही तो है जो हम सेकुलर भारत में एक इस्लामिक स्टेट को बिना हील हुज़त के दिए चले जा रहे हैं। और नेहरु जी के ये कश्मीरी भाई फिर भी पाक का झंडा उठाये भारत के खिलाफ जेहाद पर अमादा हैं।
पिछले दिनों जब पाक के कबाईली इलाकों में सिखों से ज़ज़िया बटोरने की खबरें आईं तो पाक सरकार ने बड़ी मासूमियत से पल्ला झाड लिया की हमारा तो वहां बस नहीं चलता।अब इन पाकशैतानियो से कोई पूछे की क्या वजीरिस्तान के इन इलाकों में 'निजामे अदल 'का कानून उनकी सरकार ने नहीं नासिर किया था , जिसके तहत वहां कुरआन की 'शरियत' लागू हो गई और शरियत में ' काफिरों'पर रहम सिर्फ और सिर्फ 'ज़ज़िया' देने पर ही किया जा सकता है।
वैसे तो यह सेकुलर ज़ज़िया हर उस राज्य में लागू है जहाँ इस्लाम के बन्दों की वोटों की दरकार है। केरल में मदरसों के मौल्विओं को ४०००/- पेंशन और वह भी मंदिर फंड से। आन्ध्र में इसाईओं को विदेशों में अपने धर्म स्थानों की यात्रा के लिए २५०००/- सब्सिडी, मुस्लिम को ४% आरक्षण, उर्दू अकेडमी के लिए ३० करोड़
भी हमारे ही दिए कर से जुटाए जाते हैं।
सोनियाजी की मनमोहन सरकार हर क्षेत्र में तरक्की की नई नई उच्चाईयाँ छूने जा रही है। १९९८ में हज यात्रिओं के लिए सरकारी सहायता जो महज़ १२३ करोड़ थी ,२००८ आते आते ८२६ करोड़ हो गई। अब तरक्की पसंद सेकुलर सरकार ने यही देश की सेकुलर आबादी पर थोड़ा यात्रा टैक्स बढ़ा दिया तो क्या आफत आ गई....फिर हाज़िओं के लिए सरकार के पास पैसा आयेगा भी तो फिर कहां से ? ???????

2 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दू खुद ही मूर्ख बन रहे हैं तो क्या किया जा सकता है...

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  2. aaj hinduvon mei koi jagran karne wala nahi hai. Ek sangh parivar tha maga vo bhi ab musalmano ka himayti ho gaya bjp bhi musalmano ke piche ho chali hai. Bharat phir muslim rastra banne ki disa me agraar hai. Congress ko keval satta chahiye uske liye desh bat jaye to koi baat nahi. Nehru ne bhi to yahi kiya tha Pakistan Jinna ko dekar desh ka pm bane. Yah bahut durbhagya hai. HInduvon ko neta aapa me ladva kar vote to le lete hain magar unke hit nahi kar rahe hai. Media bhi kathmullo se dartti hai. Jakir hussain khuleaam jihad ki vakalat kar raha hai

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