आप का कीड़ा ...... सही पकडे हैं
एल आर गांधी
कांग्रेस और क्रप्शन तो एक ही हैं .... ज्यों ज्यों अकाली -भाजपा की क्रप्शन की खेती लहलहाएगी , आप के कीड़े की मार तो स्वाभाविक ही है .... लोग भ्र्ष्टाचार से त्रस्त हैं और अकाली 'सदभावना ' की रैलियों में मस्त ! सारे का सारा राजतंत्र किस कदर आकंठ भ्र्ष्टाचार की दलदल में कमल की भांति डूब कर मुस्कुरा रहा है ...उसकी एक बानगी आज अपने पाठकों से साँझा करना चाहूंगा !
गत दिनों मियून्सपल कार्पोरेशन से पाला पड़ गया .... एक वरिष्ठ नागरिक जो सुबह की सैर में बारांदरी के एक से दुसरे चक्कर के बारे में मात्र सोच कर ही चकरा जाता हो ...उसे क्रप्ट कार्पोरेशन ने एक महीना खूब घुमाया कि सर घूम गया। एक शख्स जिसने ३५ बरस की सर्विस में एक टके की घूंस न खाई हो , उससे एक बाबू ने दस जमा दो हज़ार की मांग कर डाली !
उतिष्ठकौन्तेय का लेखक जो जनता को जगाते जगाते सो सा गया था ... जाग गया ! आखिर बाबू से ८ में डील फाइनल हुई ... आठ वैसे भी हमारा लक्की नंबर है .... एंटी-करप्शन ब्यूरो ने रही सही कसर पूरी कर दी ... बेचारो को 'सरकार' ने इस कदर 'कागज़ी कार्यवाही ' में समेटा है कि चोर को पकड़ने से पहले ही खुद का 'मोर 'के माफिक कुछ बन जाता है .... या फिर हवा निकल जाती है और चोर नौं -दो -ग्यारां हो जाता है।
खैर क्रप्ट कार्पोरेशन के प्रांगण में 'चोर बाबू ' रँगे हाथों पकड़ा गया ....
भ्र्ष्टाचार की जड़ें किस कदर फ़ैल चुकी हैं ,देख कर मन परेशां कम पशेमाँ ज़्यादा हुआ ... इधर क्रप्ट -बाबू को पुलिस ने अपनी गाडी में बिठाया -उधर क्रप्ट कार्पोरेशन के उसके साथिओं का हजूम सड़क पर आ गया और अपने 'प्रिय ' साथी को छुड़ाने की असफल कोशिश में जुट गए !
हम तो किसी भांति बस जान बचा कर भागे !