हर शाख़ पे उल्लू बैठा है --- 'इलज़ाम -ए ' गुलिस्तां !!!!!!!
एल आर गांधी
दिवाली पर हर कोई चाहता है कि 'लक्ष्मी ' ऐश्वर्य व् धन -सम्पदा की देवी एक बार उनके घर आए तो वापिस न जाने पाए ! शायद इसी लिए लक्ष्मी की सवारी ' उल्लू' को बलि का बकरा बना दिया जाता है .... कुछ तांत्रिक व् ढोंगी बाबा इसके अंगों की बलि देते हैं ……
भला हो 'एको-ईको ' जैसे पशु-पक्षी प्रेमी एन जी ओज का , जिन्होंने एक बॉलीवुड अभिनेत्री तारा शर्मा की गुहार पर त्वरित कार्रवाही करते हुए एक 'उल्लू ' को बचा लिया। बेचारे 'कुत्ते ' दिवाली 'के पटाखों की आवाज़ से सहम जाते है … चंद श्वान प्रेमी तो इन्हें अपने बेड -रूम में बिठा कर फुल -टोन पर संगीत बजाते हैं ताकि कुत्ते के कानों तक 'दिवाली के दुष्ट पटाखों की प्राण-घातक ' आवाज न पहुँच पाए।
पर्यावरण प्रेमी सभी आम-ओ -ख़ास से यह अपील करना नहीं भूलते कि पटाखों से वातावरण कितना प्रदूषित होता है …… इन सभी समाज सेवी संस्थाओं और इनके संचालकों को हमारा .... साधुवाद !
जब अल्लाह के मुरीद 'ईद ' पर लाखों बेज़ुबान जानवरों को महज़ काटते नहीं अपितु 'हलाल ' तड़पा -तड़पा ' कर मारते हैं .... जानवरों के खून से नदी -नालों का पानी ख़ूँरेज़ हो जाता है .... तब ये पशु प्रेमी ,पर्यावरण -प्रेमी समाजसेवक - ऐन जी ओज टालरेंस -सहिष्णुता की चादर ओढ़ कर 'सो ' जाते हैं .... कोई कम्युनल न कह दे … सैकुलर समाज जो ठहरा !
एल आर गांधी
दिवाली पर हर कोई चाहता है कि 'लक्ष्मी ' ऐश्वर्य व् धन -सम्पदा की देवी एक बार उनके घर आए तो वापिस न जाने पाए ! शायद इसी लिए लक्ष्मी की सवारी ' उल्लू' को बलि का बकरा बना दिया जाता है .... कुछ तांत्रिक व् ढोंगी बाबा इसके अंगों की बलि देते हैं ……
भला हो 'एको-ईको ' जैसे पशु-पक्षी प्रेमी एन जी ओज का , जिन्होंने एक बॉलीवुड अभिनेत्री तारा शर्मा की गुहार पर त्वरित कार्रवाही करते हुए एक 'उल्लू ' को बचा लिया। बेचारे 'कुत्ते ' दिवाली 'के पटाखों की आवाज़ से सहम जाते है … चंद श्वान प्रेमी तो इन्हें अपने बेड -रूम में बिठा कर फुल -टोन पर संगीत बजाते हैं ताकि कुत्ते के कानों तक 'दिवाली के दुष्ट पटाखों की प्राण-घातक ' आवाज न पहुँच पाए।
पर्यावरण प्रेमी सभी आम-ओ -ख़ास से यह अपील करना नहीं भूलते कि पटाखों से वातावरण कितना प्रदूषित होता है …… इन सभी समाज सेवी संस्थाओं और इनके संचालकों को हमारा .... साधुवाद !
जब अल्लाह के मुरीद 'ईद ' पर लाखों बेज़ुबान जानवरों को महज़ काटते नहीं अपितु 'हलाल ' तड़पा -तड़पा ' कर मारते हैं .... जानवरों के खून से नदी -नालों का पानी ख़ूँरेज़ हो जाता है .... तब ये पशु प्रेमी ,पर्यावरण -प्रेमी समाजसेवक - ऐन जी ओज टालरेंस -सहिष्णुता की चादर ओढ़ कर 'सो ' जाते हैं .... कोई कम्युनल न कह दे … सैकुलर समाज जो ठहरा !