हैल्दी-हल्दी
एक नए शोध में हल्दी को लीवर के लिए हैल्दी पाया गया है.हल्दी में पाए जाने वाले कुर्कुमिन रसायन से सिरोसिस यानि लीवर अर्थात यकृत की बीमारी में आराम मिलता है. इस रसायन के कारन ही हल्दी का रंग पीला है.
मेडिकल यूनिवर्सिटी ग्रेज आस्ट्रिया के प्रोफ़ेसर माइकल ट्रानर द्वारा चूहों पर किये गए शोध से हल्दी के इन चमत्कारी गुणों पर से पर्दा उठा है. प्रोफ़ेसर माइकल ने पहले चूहों को लीवर के लिए हानिकारक रसायन का इंजेक्शन दिया और भोजन में उन्हें हल्दी(कुर्कुमिन) दिया गया. चूहों का दूसरा ग्रुप सामान्य भोजन पर रक्खा गया. ४.५ माह तक इसका असर देखने पर यह तथ्य सामने आए कि हल्दी से लीवर की दो प्रकार की ऑटो इम्म्युन बीमारियों में कमी के लक्षण दिखाई दिए .
लीवर की प्राइमरी स्क्ल्रोसिंग कोलान्जाईटिस व् प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस के यथेष्ट उपचार न होने के कारन लीवर प्रत्यापन ही एक मात्र विकल्प शेष रह जाता है. संक्रमित लीवर में प्रयुक्त होने वाले उर्सोदिअक्सिक्लोरिक एसिड के चिर कालीन कुप्रभावों बारे अभी तक कुछ सपष्ट नहीं हो पाया है.
हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है. औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी ,गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया,हट्टविलासनी ,हरदल, कुमकुम,टर्मरिक नाम दिए गए हैं. हल्दी में उड़नशील तेल ५.८% प्रोटीन ६.३ % द्रव्य ५.१ % खनिज द्रव्य ३.५.% करबोहाईड्रेट ६८.४ के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, विटमिन ऐ पाए जाते है. हल्दी कफ़-वात शामक, पित्त रेचक व् पित्त शामक है. रक्त स्तम्भन ,मूत्र रोग, गर्भश्य,प्रमेह, त्वचा रोग , वात -पित्त -कफ़ में इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है यकृत प्लीहा की वृद्धि अर्थात लीवर एनलार्जमेंट में इसका लेप किया जाता है. नाडी शूल के अतिरिक्त पाचन क्रिया के रोगों ... अरुचि ( भूक न लगना) विबंध , कमला, जलोधर व् क्रीमी में भी यह लाभकारी पई गई है.
हल्दी का हर भारतीय घर में एक मसाले के रूप तो प्रयोग होता ही है. चाहे वह तरकारी को रूप रंग देने के उद्देश्य से ही हो. बचपन में हमारी दादी माँ वर्ष के आगमन पर जब हरी हल्दी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती थी,सारे परिवार के लिए हल्दी- पाक बनती और उन का विशवास था की इस से सारे परिवार का काया-कल्प हो जायेगा और इसका असर सारा साल रहेगा. हमारे यहाँ सौन्दर्य प्रसाधनों में भी हल्दी का प्रयोग बहुतायत में होता है. विवाहोत्सव में तो हल्दी की रसम का अपना एक विशेष महत्तव है.
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