शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

yojna baddh loot khasoot

 
योजना बद्ध - लूट खसूट

       एल.आर गाँधी.

यूं  तो  हमारे सिंह साहेब खुद को एक दक्ष अर्थशास्त्री होने का दंभ पाले बैठे हैं, मगर सरकारी योजनाओं के नाम पर हो रही लूट  खसूट और लापरवाही के चलते देश को भारी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ रहा है. सरकारी योजनाओं के कर्र्यन्वन में हो  रही लेट लतीफी के चलते ही सरकारी खजाने पर १,२४,००० करोड़ रूपए अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और इस लेटलतीफी के लिए ज़िम्मेदार केन्द्रीय और राज्य सरकारों के नेता-अफसरों पर कोई जिम्मेवारी निर्धारित नहीं होने वाली.
यह इतनी बड़ी रकम है कि देश के ३० करोड़ भूखों को दो साल के लिए खाना दिया जा सकता है. यह  रकम साल २०११-१२ के बजट प्लान की राशी का एक तिहाई है.यह रपट सरकार के अपने ही कार्य निष्पादन मंत्रालय की है जिसके मंत्री एम्.एस.गिल जिन्हें हाल ही में खेल मंत्रालय से यहाँ भेजा गया है, ने मुख्य मंत्रिओं को लिखे अपने एक पत्र में, उनकी लेट लतीफी के कारन हो रहे नुक्सान से आगाह करवाया है. 
महान राजनयिक व् अर्थशास्त्री विष्णु गुप्त-चाणक्य ने अपने 'अर्थशास्त्र' निति ग्रन्थ में राज्य को सलाह दी है कि आदर्श राज्य संस्था वह  है जिसकी योजनाएं प्रजा को उसके भूमि ,धन-धान्यादी पाते रहने से वंचित करने वाली न हों. उसे लम्बी चौड़ी योजनाओं के नाम पर कर भार से आक्रांत न कर डालें . राष्ट्रोद्धारक योजनाएं राजकीय व्ययों में से बचत करके ही करनी चाहियें . राजा का ग्राह्य भाग दे कर बचे प्रजा के टुकड़ों के भरोसे पर लम्बी चौड़ी योजना छेड़ बैठना प्रजा का उत्पीडन है.

चाणक्य का निवास स्थान शहर के बाहर एक पर्णकुटी थी , जिसे देख कर चीन के ऐतिहासिक यात्री फाह्यान ने खा था- इतने विशाल देश का प्रधानमंत्री ऐसी कुटिया में रहता है. तब उत्तर था चाणक्य का '' जहाँ का प्रधान मंत्री साधारण कुटिया में रहता है वहां के निवासी भव्य भवनों में निवास करते हैं और जिस देश का प्रधान मंत्री राज प्रासादों में रहता है वहां की सामान्य जनता झोंपड़ों में रहती है. 

हमारे अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री इन लम्बी चौड़ी योजनाओं के नाम पर हो रही लूट खसूट के दायत्व  से  खुद  को  भला  कैसे  बचा  सकते  हैं- लूट खसूट के विरुद्ध अन्ना हजारे के उद्दघोश पर आज सारा राष्ट्र एक जुट हो कर एक ही प्रशन पूछ रहा है ' चोरों का सरदार सिंह फिर भी ईमान दार ?