सोमनाथ .... आस्था की विरासत
एल आर गांधी
पटेल की इस योजना का गांधीजी ने समर्थन तो किया मगर साथ ही यह शर्त भी रख दी की सरकारी खज़ाने से 'एक पैसा 'भी न खर्च किया जाए …। 'पंडित' जवाहर लाल नेहरू मंदिर निर्माण की इस योजना के धुर विरोधी थे। मंदिर के स्थान पर बने 'मस्जिद ' के ढांचे को कुछ मील दूर शिफ्ट कर दिया गया और मूल स्थान पर भव्य मंदिर जनता के सहयोग से निर्मित किया गया …। इसी बीच गांधीजी और पटेल जी का देहावसान हो गया और इस महती कार्य को श्री के एम मुंशी जी ने पूरा किया।
११ मई १९५१ को राष्ट्रपति श्री राजेन्दर परसाद ने मंदिर में मूर्ती प्रतिष्ठान किया तो सैकुलर शैतान ग़यासुद्दीन पौत्र 'पंडित' नेहरू बहुत 'नाराज़' हुए तो राजेंदर बाबू ने बहुत ही माकूल जवाब दिया 'निर्माण की शक्ति हमेशां ही विध्वंस की ताकत से महान होती है '
शेख ने मस्जिद बना , मिस्मार बुतखाना किया
पहले तो कुछ सूरत भी थी , अब साफ़ वीराना किया
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