शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

सैंडिल और जूते

सैंडिल और जूते

एल आर गांधी


सैंडिल के साथ साथ यदि खद्दर का गमछा भी पहन लिया होता , तो हम मान जाते कि बापू के पदचिन्हों पर चलने वाला कोई तो जिन्दा है ...आज भी !मफलर मैन  सैंडिल पहन कर भारत के 'महामना ' के भवन में फ्रांस के राष्ट्रपति के भोज में क्या चले गए  .... चर्चिल की माफिक एक अग्रवाल मॉडर्न गांधी से खफा हो गए।  यही नहीं जूतों की 'ढंग' की जोड़ी खरीदने के लिए ३६४ रूपए भेज दिए और वह भी देश की राजधानी के 'मालिक ' को। नसीहत भी दे डाली  .... अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में कुछ मानक होते हैं जिनका सम्मान करना चाहिए ,बापू के चेले को  ... अरे !  गोरे  अँगरेज़ तो बापू की बकरी की मैं -मैं भी सह गए थे मगर काले अँगरेज़ 'सैंडिल ' पर सटक  गए।
अब मफलर मैन भी तूँ डाल -डाल  मैं पात पात रायता फैला रहे है  .... केतली जी ने भरी कचहरी में क्या कह दिया कि केज़डी की न तो कोई इज्जत है और न ही करैक्टर  .... केज़डी जी ने भी भरी अदालत में दलील दे डाली  ... कि  एक लाख वोट से हारे हुए केतली की भी कोई इज्जत नहीं   .... मानहानि का मामला रफा-दफा किया जाए  ...... खुद मियां ३. ३७ लाख पर हारे थे  .... भूल गए !
अब मियां अपनी खांसी को काबू करें कि दिल्ली में फैला कूड़ा।  कुछ महीने तनख्वाह नहीं मिली तो क्या तूफ़ान आ गया  ... मुख्य मंत्री क्या मोदी जी की माफिक फुर्सत में हैं जो झाड़ू उठा कर स्वच्छ भारत गुनगुनाते फिरें  ... आड़-इवन ,प्रदूषण , ला -आडर  ऊपर से मान हानि के झमेले  ... सब मिले हुए हैं जी   काम ही देते नहीं करने !

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