चरखागिरी
एल आर गांधी
बचपन से हमें 'सुनियोजित ' ढंग से 'चरखा ' बनाया गया। नर्सरी से हमें पढ़ाया गया कि कैसे गांधी जी नें बिना शस्त्र या शास्त्र के मात्र ' चरखे ' की बदौलत हिंदुस्तान को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करा दिया ..... और हम भी अबोध बालक की भांति गुनगुनाते रहे ..... ले दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल ,साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ! उधर बापू ने 'सारे ज़हाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा ...... हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्ताँ हमारा ! हर स्टेज पर गा गा कर इसे राष्ट्रिय गीत बना डाला। गीत के लेखक और पाकिस्तानी सोच के संस्थापक मौलाना इकबाल ने अपना गीत ही बदल दिया ' ..... मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा !' फिर भी मुस्लिम तुष्टिकरण की 'कुष्ट -मानसिकता ' से पीड़ित बापू .... वही राष्ट्र विरोधी गीत गवाते रहे।
जिन्ना ताउम्र बापू को चरखा बनाते रहे और वे बनते रहे ... कभी उसे कायदेआज़म की उपाधि दी कि जिन्ना खुश हो जाए ... फिर उसे मनाने के लिए उससे १४ बार मिले ....आखिर में धमकी दी .... पाकिस्तान मेरी डेड बॉडी पर बनेगा .... न खुशामद काम आई और न धमकी ... जिन्ना ने पाक स्थापना भी १४ अगस्त ही मुकर्र की। तुष्टिकरण की पराकाष्ठा तो तब हो गई जब बापू कोप भवन में बैठ कर ' चरखा 'घुमाने लगे ,ज़िद थी ! कि पाक को 'बकाया' ५५ करोड़ अदा किया जाए , जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने कश्मीर पर पाक कब्ज़े के विरोध में रोक दिया गया था। परिणामत : गोडसे ने बापू को प्रतिज्ञा के अंजाम तक पहुंचा दिया।
बापू की साँसे थम गई मगर 'चरखागिरी ' बदस्तूर जारी रही .... देश को चरखे की मानिंद घूमने की अबकी बारी थी 'चाचा ' नेहरू की .... हमें समझाया गया कि देश को आज़ाद करवाया 'नेहरू-गांधी ' परिवार ने ... बाकी देश पर अपने प्राण न्योछावर करने वाले तो विद्रोही -आतंकवादी थे ... नेता जी सुभाष चन्द्र बॉस की जासूसी की गई ... आज़ादहिंद फ़ौज़ के सैनिको को नेहरू ने मान्यता देने से साफ़ इंकार कर दिया।
वक्त के साथ साथ नेहरू -गांधी की पारिवारिक पार्टी ने चरखे को ही चलता कर दिया ..... चुनाव चिन्ह और झंडे पर से चरखा नदारद हो गया ... किसानों को लुभाने को 'दो बैल ' छाप दिए .... फिर इनका स्थान ले लिया 'गाय -बछड़े ने ... पार्टी का नाम भी बदल कर 'इंदिरा कांग्रेस ' हो गया और निशान हो गया हाथ ...... वक्त के साथ बापू का चरखा भले ही किसी 'यादगाह ' में धूल फांक रहा हो .... पर देश को चरखा गिरी बदस्तूर घुमा रही है ......'हे ' राम
एल आर गांधी
बचपन से हमें 'सुनियोजित ' ढंग से 'चरखा ' बनाया गया। नर्सरी से हमें पढ़ाया गया कि कैसे गांधी जी नें बिना शस्त्र या शास्त्र के मात्र ' चरखे ' की बदौलत हिंदुस्तान को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करा दिया ..... और हम भी अबोध बालक की भांति गुनगुनाते रहे ..... ले दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल ,साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ! उधर बापू ने 'सारे ज़हाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा ...... हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्ताँ हमारा ! हर स्टेज पर गा गा कर इसे राष्ट्रिय गीत बना डाला। गीत के लेखक और पाकिस्तानी सोच के संस्थापक मौलाना इकबाल ने अपना गीत ही बदल दिया ' ..... मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा !' फिर भी मुस्लिम तुष्टिकरण की 'कुष्ट -मानसिकता ' से पीड़ित बापू .... वही राष्ट्र विरोधी गीत गवाते रहे।
जिन्ना ताउम्र बापू को चरखा बनाते रहे और वे बनते रहे ... कभी उसे कायदेआज़म की उपाधि दी कि जिन्ना खुश हो जाए ... फिर उसे मनाने के लिए उससे १४ बार मिले ....आखिर में धमकी दी .... पाकिस्तान मेरी डेड बॉडी पर बनेगा .... न खुशामद काम आई और न धमकी ... जिन्ना ने पाक स्थापना भी १४ अगस्त ही मुकर्र की। तुष्टिकरण की पराकाष्ठा तो तब हो गई जब बापू कोप भवन में बैठ कर ' चरखा 'घुमाने लगे ,ज़िद थी ! कि पाक को 'बकाया' ५५ करोड़ अदा किया जाए , जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने कश्मीर पर पाक कब्ज़े के विरोध में रोक दिया गया था। परिणामत : गोडसे ने बापू को प्रतिज्ञा के अंजाम तक पहुंचा दिया।
बापू की साँसे थम गई मगर 'चरखागिरी ' बदस्तूर जारी रही .... देश को चरखे की मानिंद घूमने की अबकी बारी थी 'चाचा ' नेहरू की .... हमें समझाया गया कि देश को आज़ाद करवाया 'नेहरू-गांधी ' परिवार ने ... बाकी देश पर अपने प्राण न्योछावर करने वाले तो विद्रोही -आतंकवादी थे ... नेता जी सुभाष चन्द्र बॉस की जासूसी की गई ... आज़ादहिंद फ़ौज़ के सैनिको को नेहरू ने मान्यता देने से साफ़ इंकार कर दिया।
वक्त के साथ साथ नेहरू -गांधी की पारिवारिक पार्टी ने चरखे को ही चलता कर दिया ..... चुनाव चिन्ह और झंडे पर से चरखा नदारद हो गया ... किसानों को लुभाने को 'दो बैल ' छाप दिए .... फिर इनका स्थान ले लिया 'गाय -बछड़े ने ... पार्टी का नाम भी बदल कर 'इंदिरा कांग्रेस ' हो गया और निशान हो गया हाथ ...... वक्त के साथ बापू का चरखा भले ही किसी 'यादगाह ' में धूल फांक रहा हो .... पर देश को चरखा गिरी बदस्तूर घुमा रही है ......'हे ' राम
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