बुधवार, 3 सितंबर 2014

वाक् गुदम

वाक् गुदम

एल आर गांधी

 अमृता प्रियतम , १०००००००८ जगतगुरु श्री श्री परमश्री सरस्वतानन्द जी 'शिष्य ' वाक गुदम दिग्गी मियां अर्फ शहज़ादा गुरु श्री दिग्विजय सिंह जी ने भी 'हांडी फोड़ 'डाली और वह भी बीच चौराहे .... पप्पू यदि चुप न रहता और उनकी भांति हर एक विषय पर 'वाक गुदमी  ' करता तो यह दुर्गति हरगिज़ न होती …
अब राजकुमार क्या बोलें .... पराए पुत्तर ने बोलती बंद कर दी है … टॉफी बोले तो कॉफी में घोल कर पिला दी .... गुबारा बोले तो बीच बाजार हवा निकाल दी … ४४ वां जन्म दिन मनाने विदेश भागना पड़ा … कहीं राहुल बाबा को ४४ मोर 'अवतार दिवस मुबारक' कहने न धमक जाएं !
कहते हैं बुरे वक्त में साया भी साथ छोड़ जाता है … गुरु देव भी दगा दे जाएंगे … घोर कलयुग !!!!!!

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