अच्छे दिन !
एल आर गांधी
हाथ की दातुन से निपट कर आखिरी फोलक को थू .... कहने ही वाले थे कि चोखी लामा बीच में आ धमके … न दुआ न सलाम सरहद पार की फायरिंग की मानिंद सवाल दागा … बाबू आज का अखबार देखा … अनजान बालक सा चोखी का मुखारविंद तकता रह गया … बाबू ! १०० दिन चूक गए और मैडम ने पूछ लिया है 'फेंकू' से … कहाँ हैं 'अच्छे दिन' . हमने भी फोलक को दांतो बीच दबा कर जवाबी फायरिंग करते हुए सवाल दाग दिया .... मियां सब्र करो ! ६० साल उर्फ़ २१९०० दिन राज किया है मैडम के परिवार ने … उनसे तो किसी ने नहीं पूछा … ये अच्छे ....
बगल के तीन बस्ते कंधे पर लटका कर चोखी लामा बिफर पड़े … बाबू ! आप लोग क्या जानो गरीब की अच्छे दिन की भूख को … मैडम ने तो गरीब की भूख को जाना भी और इंतजाम भी कर दिया था … तभी से खाद्य सुरक्षा के ये तीन बस्ते हम बगल में दबाए भटक रहे हैं … बेडा गर्क हो मुए चुनाव आयोग का ऐन वक्त पर अड़ंगा डाल दिया …
लामा चपलियाँ चटकाते सरकारी राशन की दुकान 'आनंद लाल के डिपो 'की ओर चल दिए .... शायद आज खुला हो ?
एल आर गांधी
हाथ की दातुन से निपट कर आखिरी फोलक को थू .... कहने ही वाले थे कि चोखी लामा बीच में आ धमके … न दुआ न सलाम सरहद पार की फायरिंग की मानिंद सवाल दागा … बाबू आज का अखबार देखा … अनजान बालक सा चोखी का मुखारविंद तकता रह गया … बाबू ! १०० दिन चूक गए और मैडम ने पूछ लिया है 'फेंकू' से … कहाँ हैं 'अच्छे दिन' . हमने भी फोलक को दांतो बीच दबा कर जवाबी फायरिंग करते हुए सवाल दाग दिया .... मियां सब्र करो ! ६० साल उर्फ़ २१९०० दिन राज किया है मैडम के परिवार ने … उनसे तो किसी ने नहीं पूछा … ये अच्छे ....
बगल के तीन बस्ते कंधे पर लटका कर चोखी लामा बिफर पड़े … बाबू ! आप लोग क्या जानो गरीब की अच्छे दिन की भूख को … मैडम ने तो गरीब की भूख को जाना भी और इंतजाम भी कर दिया था … तभी से खाद्य सुरक्षा के ये तीन बस्ते हम बगल में दबाए भटक रहे हैं … बेडा गर्क हो मुए चुनाव आयोग का ऐन वक्त पर अड़ंगा डाल दिया …
लामा चपलियाँ चटकाते सरकारी राशन की दुकान 'आनंद लाल के डिपो 'की ओर चल दिए .... शायद आज खुला हो ?
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