गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

आप का कीड़ा   ...... सही पकडे हैं
  एल आर गांधी

कांग्रेस और क्रप्शन तो एक ही हैं  .... ज्यों ज्यों अकाली -भाजपा की क्रप्शन की खेती लहलहाएगी , आप के कीड़े की मार तो स्वाभाविक ही है  .... लोग भ्र्ष्टाचार से त्रस्त हैं और अकाली 'सदभावना ' की रैलियों में मस्त ! सारे का सारा राजतंत्र किस कदर आकंठ भ्र्ष्टाचार की दलदल में कमल की भांति डूब कर मुस्कुरा रहा है  ...उसकी एक बानगी आज अपने पाठकों से साँझा करना  चाहूंगा !
गत दिनों मियून्सपल कार्पोरेशन से  पाला पड़ गया  .... एक वरिष्ठ नागरिक जो सुबह की सैर में बारांदरी के एक से दुसरे चक्कर के बारे में मात्र सोच कर ही चकरा जाता हो  ...उसे क्रप्ट कार्पोरेशन ने एक महीना खूब घुमाया कि सर घूम गया।  एक शख्स जिसने ३५ बरस की सर्विस में एक टके की घूंस न खाई हो , उससे एक बाबू ने दस जमा दो हज़ार की मांग कर डाली !
उतिष्ठकौन्तेय का  लेखक जो जनता को जगाते जगाते सो सा गया था  ... जाग गया ! आखिर बाबू से ८ में डील फाइनल हुई  ... आठ वैसे भी हमारा लक्की नंबर है  .... एंटी-करप्शन ब्यूरो ने रही सही कसर पूरी कर दी  ... बेचारो को 'सरकार' ने इस कदर 'कागज़ी कार्यवाही ' में समेटा है कि चोर को पकड़ने से पहले ही खुद का 'मोर 'के माफिक कुछ बन  जाता है  .... या फिर हवा निकल जाती है और चोर नौं -दो -ग्यारां हो जाता है।
खैर क्रप्ट कार्पोरेशन के प्रांगण में 'चोर बाबू ' रँगे हाथों  पकड़ा गया  ....
भ्र्ष्टाचार की जड़ें किस कदर फ़ैल चुकी हैं ,देख कर मन परेशां  कम पशेमाँ ज़्यादा हुआ  ... इधर  क्रप्ट -बाबू को पुलिस ने अपनी गाडी में बिठाया -उधर क्रप्ट कार्पोरेशन के उसके साथिओं का हजूम सड़क पर आ गया और अपने 'प्रिय ' साथी को छुड़ाने की असफल कोशिश में जुट गए !
हम तो किसी भांति बस जान बचा कर भागे !

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

sahipakdehain

क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती

LR GANDHI
M4PNews| CHANDIGARH

सही पकड़े है।

क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती, सबसे ज़्यादा प्रदूषण तो अति -विशिष्ट बिरादरी ही  फैलाती है जी ! जीजा जी से ज्यादा कौन जानता है ! उनसे ज़्यादा वीआईपी के मज़े किसने लुटे हैं जी ! जीजा जी ! बोले तो ! रॉबर्ट जी वाड्रा ने फ़रमाया है  कि आड -इवन के ढोंग में वर्जित के बराबर छूट की लम्बी सूची है।

vadra

हवा में भी हवा बाज़ी! अरे भाई रोक लगानी है तो सब पर लगाओ। यह भी कोई बात हुई ? वीआईपीज़ तो सरपट गाड़िया दौड़ाएं  दिल्ली की सड़कों पर और उन जैसा आम आदमी एक दिन अपना ‘काम काज़ ‘ निपटने को ताकता रहे या फिर साला साहेब या सासू माँ गाडी के  जुगाड़ से जूझे ?

evenodd

इसे ही तो कहते हैं ‘असहिषुणता ‘ पॉलिटिक्स आफ रिवेंज। हमारे सिंह साहेब की सदारत में हमें किसी ने नहीं रोक कहीं भी ‘आने जाने ‘ से। किसी ने हमारे सामान की ‘लोडिंग ‘ जांच तक नहीं की कभी।  सिंह साहेब ने तो हमारे जैसे ‘आम’ आदमी का नाम ही लिखवा दिया था वी वी आई पीज़ की सूची में, हमारी सासू माँ की सासू माँ ‘नामित’ एयर पोर्ट पर। सबसे बड़े वी वी आई पी, महामहिम, का नाम सबसे ऊपर और हमारे जैसे आम वी वी आई पी का नाम सबसे नीचे।

क्या  ज़माना आ गया ! जिनका कभी विदेश यात्रा से पूर्व कभी सामान तक नहीं चेक किया गया था, आज उनकी गाड्डी का नंबर चेक किया जाएगा। बहुत बे-इंसाफी है जी !

बुधवार, 23 दिसंबर 2015

इसकी टोपी उसके सर

इसकी टोपी उसके सर

     एल आर गांधी

सब चिट्टी टोपी का कमाल है  .....  पहनते ही इंसान केज़रीवाल बन जाता है। .. तीन बरस पहले जब 'सभ्य ' दिल्ली सड़कों पर थी  ..... निर्भया -निर्भया  चिल्ला रही थी  ..... मोमबत्तीयां सर्द हवा में भी  बुझने का नाम नहीं ले रहीं थी  , ऐसे में हमारे कज़री लाल भीड़ में चिट्टी टोपियां बांटने में मशगूल थे  . तीन बरस बीत गए और निर्भया का क्रूर गुनहगार बीस को छूट जाएगा  ..... केज़री ने क्रूर मुहम्मद अफ़रोज़ को गले से लगा लिया है  .... अपने कारनामे के इनाम स्वरूप मियाँ जी को दस हज़ार रूपए और एक सिलाई मशीन से नवाज़ा है। .. यही नहीं उसे सेटल भी करेंगे ताकि उसे अपने कारनामें सरंजाम देने के लिए चलती बसों में न भटकना पड़े  .... खाली वक्त में रोज़गार भी अता किया है  .... मशीन से 'आप' की टोपिआँ सिलने का।
निर्भया के माँ -बाप खून के आंसू रो रहे हैं  ..... इन्साफ की दरकार है उन्हें उस  मोमबती-गैंग से  .... दिल्ली की सल्तनत से  .... लोकसभा -राज्य सभा में पानी पी पी कर चिल्लाने वाले छोटे -बड़े सांसदों से  .... पर उन्हें तो फ़िक्र है अपनी 'माँ ' और उसके दुलारे 'राज कुमार' की , कहीं हेराल्ड की कालिख कांग्रेस की राजमाता और राजकुमार को दागदार न कर दे !  .... किसी साडी गैंग ने निर्भया के कातिल को माकूल सज़ा के हक़ में आवाज़ नहीं उठाई  .... बस एक जां -बाज़ स्वामी खड़ा है  ... ७५ बरस का नौजवान !आपिये तो :
अखिलाक की मौत पर मातमज़दा यू पी की दौड़ लगाने वाले ,गजेन्द्र को पेड़ पर फंदा लगा मरते देख 'मुस्कुराने 'वाले ,शकूर बस्ती काण्ड पर बवाल मचाने वाले, 'केज़री' के 'किस  फॉर लव' के जश्न में मशगूल हैं 

पाक के क्रूर क़ानून

पाक के क्रूर क़ानून
 ईश निंदा -रिद्दाह

एल आर गांधी


पाक में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मस्तान सिंह को २५ अन्य सिक्खो सहित  ब्लासफेमी अर्थात ईश निंदा के क़ानून के तहत ग्रिफ्तार किया गया है  ... गुरूद्वारे पर हमला और पाक मुर्दाबाद के नारे लगाने का भी आरोप है  ..... पाक में १९८७ से  अब तक अपनी तरहां का यह दूसरा केस है जिसमें इस्लाम से इतर किसी धर्म की ईश निंदा पर मामला दर्ज़ हुआ है  .... वरना तो १९१४ तक दर्ज़ हुए  १३००  केसों में  अधिकतर गैर -मुस्लिम ही इस का शिकार हुए हैं  ... ईश निंदा में क़ुरआन या मुहम्मद के  अनादर  को गुनाह माना  जाता है। १९९० तक ६२ लोग इस क़ानून का शिकार हुए और ५० तो कोर्ट की कार्यवाही के दौरान ही इस्लामिक कट्टरपंथीओं द्वारा मार दिए गए.
पाक के फौजी राष्ट्रपति जिया उल हक़ ने १९८०-८६ में इस कानून को और सख्त बनाया ताकि अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा किया जाए और डर के साए में जीते जीते वे इस्लाम कबूल कर लें।
अपने मन्तव् में वे कामयाब भी हुए  ..... १९४७ में अल्पसंख्यक २५ % थे ,जो अब महज़ ३% रह गए और सबसे अधिक अत्याचार के शिकार 'हिन्दू' २४% से घट  कर महज़ १% रह गए।
यूँ तो ईश निंदा कानून किसी भी धर्म के अनादर पर लागू है मगर इस्लाम में तो किसी दुसरे मज़हब को मानने वाला गुनहगार है  ...ऐसे लोगों पर अपोस्टसी अर्थात रिद्दाह या इर्तिदाद लागू होती है  ...कोई इस्लाम को त्याग दे या फिर इस्लाम में आ कर छोड़ जाए या फिर मूर्ती पूजा करे तो वह सज़ा का पात्र है  ..... पाकिस्तान में हज़ारों मंदिर और असंख्य मूर्तिया तोड़ी गई मगर कोई ईश निंदा में नहीं पकड़ा गया  ... एक शायर ने कहा है  .....
शेख नें मस्जिद बना ,मिस्मार बुतखाना किया
पहले तो कुछ सूरत भी थी ,अब  साफ़ वीराना किया 

हद हो गई यह तो

हद हो गई यह तो !
एल आर गांधी
पूर्व विदेश सैर मंत्री मियाँ सलमान खुर्शीद ने ट्वीट किया कि 'सोनिया गांधी ' पूरे देश की माँ है .... सर्वोच्च न्यायालय के एक अन्य वकील साहेब ने अंतत खोज निकाला कि राहुल गांधी का रियल नाम क्या है ' यह है पूरे देश गांधी ! जैसे नेहरूजी ने एक विदेशी मेहमान के समक्ष 'गांधी जी ' के बारे में पूछने पर अनायास ही उनका का असली नाम उजागर करते हुए कहा था ...'.ओह वह ढोंगी बूढा ' !
अपने आकाओं की चापलूसी और वह भी अतिश्योक्ति की पराकाष्टा तक हमारी चिरपरिचित पहचान है। .... इंदिरा इज़ इंडिया ,इण्डिया इज़ इंदिरा। .... तत्कालीन कांग्रेस प्रधान देव कान्त भडुआ का इमरजेंसी उद्द्घोष सर्वविदित है।
१० विकृतिओं के प्रतीक रावण के दस शीश, चाटुकार -भांडों की दृष्टि में ' चार वेद -छह शास्त्रो के ज्ञान - प्रतीक दशानन थे ...... इसी चाटुकारिता के दम्भ से दिग्भ्रमित नेहरू ने १९५५ में और इंदिरा ने १९७१ में खुद को 'भारत रत्न 'के अंतिम अलंकार से अलंकृत कर अपने मुंह मियां मिठू की कहावत को चिरतार्थ कर दिया।
वह दिन दूर नहीं जब सन्नी लियोने को कल कोई देश की 'आम्रपाली -मॉडर्न सुंदरियों' की आदर्श घोषित कर दे।
पप्पू\ को कब उसके चमचे महाभारत का योद्धा 'शिखंडी ' घोषित कर दें .... खुदा जाने !

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

विरासत होटल

विरासत होटल
एल आर गांधी
नीमराणा हैरिटेज होटल के डाइनिंग हाल में प्रवेश करते ही ,पटियाला रियासत के रजवाड़ों की भूली बिसरी यादें इतिहास के पन्नों से उतर कर ज़हन में परत दर परत दस्तक देने लगीं। परिवार के साथ राजाशाही भोजन कक्ष में बैठ कर बिना पीये ही अनायास पटियाला 'पैग ' सा नशा तारी होने लगा। पानी का गिलास उठा कर ज्यों ही होंटो को लगाया तो नज़र महाराजा भूपेंद्र सिंह के शानदार 'चित्र ' पर पड़ गई .... यकीन नहीं हो रहा था कि इतने आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी का अवसान इतनी कम उम्र में ' ऐसे हालात ' में हुआ जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
महाराजा राजेन्द्र सिंह प्रकृति प्रेमी थे। उन्होंने ही बारादरी गार्डन और इस महल का निर्माण करवाया .... बारादरी बाग़ में अनेक किस्मों के अमूल्य पेड़ विश्व के कोने कोने से मंगवा कर लगाए गए .... यहीं पर पहाड़ी बाग़ में एक 'नग्न सुंदरी -बॉथिंग ब्यूटी ' का बुत विदेश से मंगवा कर लगाया गया ,जिसे उग्रवाद के काले दिनों में कला के शत्रु 'आतंकियों ने बम से उड़ा दिया। पहाड़ी बाग़ में जब महाराज अपनी रानियों के साथ नहाने आते थे तो किसी भी ख़ास-ओ-आम को माल रोड से गुज़रना 'नागवार ,' था।
२६३ रानिओं के साथ महाराजा भूपेंद्र सिंह को यह राजेंद्रा महल छोटा पड़ गया .... तब उन्होंने पुराने मोती महल ,जहाँ अब केंद्रीय खेल कूद संस्थान है , का निर्माण करवाया .... इसके निर्माण पर दस साल का समय और महज़ ५ लाख रूपए खर्च हुए।
५ लाख के ज़िक्र के साथ ही महाराजा नरेंद्र सिंह की याद ताज़ा हो गई ... १८५७ की प्रथम जंग ए आज़ादी के बाद भारतियों ने अंग्रेज़ों को 'लगान' बंद कर दिया। गोया फिरंगिओं की माली हालत पतली हो गई ... पंजाब के गवर्नर ने अंग्रेज़ सल्तनत के खैर-ख्वाह रजवाड़ों और ज़मींदारों से मदद मांगी ..... महाराज ने तैश में आ कर ५ लाख दे दिए। अब खज़ाना खाली हो गया तो पटियालविओं पर नए नए कर लगाए गए। उनमें से एक था ' रेड एरिया 'धरमपुरा बाजार 'के लिए बाहर से आने वाली 'वेश्याओं पर चुंगी ' . शायद इसी लिए जब उनके वंशज महाराजा अमरेंद्र सिंह मुख्य मंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले चुंगी माफ़ी का तोहफा पटियालविओं को दिया।

श्वान वृति

श्वान वृति

एल आर गांधी

 कालू -भूरू और भूरी की दिन रात की मेहनत रंग लाई  और उनका परिवार तीन से तेरहं  हो गया है  ...... भूरी का फिर से पैर भारी है !
 ...हमारे देवी जी अपने नित्य कर्म में सुबह के वक्त भूरी को दूध डालना कभी नहीं भूलती !और हाँ ! शाम को तीनो घर के समक्ष कतार में बैठे ब्रांडे की ओर टकटकी लगाए देखते रहते हैं की कब मालकिन उनके परांठे परोसेंगी  ..... हम भोजन मांगें तो सम्राट अशोक देखने के बाद और उनके परांठे सम्राट से पहले। भूरी परिवार का मोहल्ले पर अब एकाधिकार है  .... कोई बाहरी श्वान भूल से भी उनके एरिया की सड़क 'सूंघ' के तो दिखाए सभी कालू -भूरू बहन -भाई टूट पड़ते हैं और बेचारा परदेसी अपनी टांगों में  दबा कर भाग खड़ा होता है।
बढ़ती आबादी को देखते हुए यका यक कार्पोरेशन के अफसरों को मेनका जी की वह नसीहत याद आ गयी जिसमें श्वान संरक्षण के साथ साथ इनकी आबादी पर अंकुश के लिए इनके परिवार नियोजन आप्रेशन का  प्रावधान भी था , सो यूपी से एक  मियाँ जी को इनके ऑपरेशन का ठेका दिया गया   .... किसी कुत्ता -प्रेमी ने मियां जी को फोन पर  धमकी दे दी और मियां जी भी  .... दुम दबा कर भाग खड़े हुए  ..... अब इंतज़ार है उन दिनों का जब ये उन कुत्ता प्रेमियों के बच्चों को नोच खाएंगे और ये कुत्तों के प्रति असह्शुन्ता के विरोध में अपने मेडल मैडम मेनका को लौटाएंगे !
यदि कालू -भूरू और भूरी का यह , हम  दो  हमारे तेरहं का खेल यूँही चलता रहा तो  वह दिन दूर नहीं जब ये अपनी दिन रात की मेहनत के सदके 'उनको ' भी पीछे छोड़ देंगे जो एक की चार और चार के चौदहं की स्पीड से बढ़ रहे हैं  ..... या अल्लाह मेरे भारत को इस प्रतिस्पर्धा से बचाओ !