सेकुलर शैतान और शरिया
एल. आर. गाँधी
कश्मीर की शरिया अदालत के सरकारी आला मुफ्ती ने एक पादरी और उसके तीन मिशनरी साथियों पर कश्मीर प्रवेश पर रोक नासिर कर दी है. मुफ्ती बश्रुद्दीन ने आल सेंट्स चर्च के पादरी सी.एम्.खन्ना ,घयूर मसीह , विदेशी मिशनरी जिम बोर्स्ट व् महिला मिशनरी चंद्रकांता को कश्मीरी मुस्लिम विशेषतय युवा लड़के-लड़कियों को क्रिश्चन धर्म अपनाने के लिए उकसाने का दोषी पाया, और कुरआन की शरिया के तहत उन पर 'बैन' का हुक्म जारी कर दिया. इस्लाम में कोई मुसलमान यदि अपना मज़हब छोड़ कर कोई दूसरा धर्म अपना ले तो उसके लिए 'सख्त' सजा का प्रावधान है.
राज्य की कांग्रेस समर्थित 'सेकुलर' सरकार शरिया अदालत के इस अहम् फैसले पर मौन है. देश का सेकुलर मिडिया और मनावाधिक्कार के अलमबरदार भी मौन हैं. जैसा की नाम से ज़ाहिर है पादरी और महिला मिशनरी क्रिश्चन होने से पूर्व हिन्दू थे. यदि इनके हिन्दू से क्रिश्चन होने पर कोई हिन्दू संगठन विरोध करता तो हमारे बुद्धिजीवी सेकुलर मिडिया के 'शैतान' मानवाधिकार के कुष्ट्मानसिक महानुभाव 'भगवा- आतंक ' का राग अलापते कतई देर न लगाते.
१९ जनवरी को कश्मीरी हिन्दू निर्वासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. २२ वर्ष पूर्व इस्लामिक आतंकियों ने कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. हिन्दुओं की जान माल और उनकी बहु बेटियों की अस्मत की रक्षा मुस्लिम आतंकियों से कर पाने में कश्मीर की 'सेकुलर' सरकार ' असफल रही. पिछले २२ वर्ष से कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में ही विस्थापितों सा जीवन जी रहे हैं. जिस प्रकार मुस्लिम बहुल पाकिस्तान से लगभग सभी अल्पसंख्यकों को भगा कर 'शरियत ' और ईश निंदा' जैसे अमानवीय कानून लागु कर दिए गए हैं , वैसे ही कश्मीर से सभी गैर मुस्लिमों को भगा कर ' शरियत' लागु करदी गई है . ' सेकुलर' सरकार ही बाकायदा 'शरिया अदालतों का गठन कर रही है. और इन अदालतों के मुफ्ती अपने इस्लामिक -शरियत के फैंसले सुना रहे हैं. वोट बैंक के तलबगार सेकुलर शैतान चुप चाप राष्ट्र के एक और विघटन की इबारत लिखने में व्यस्त हैं.
कितने दिन तक बच पायेंगे इस विघटन से ....
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