सिंघ साहेब का 'शांति पुरुष'
एल. आर. गांधी
इस माह २६ नवम्बर को तीन वर्ष हो जाएंगे ..ग्लानी जी के 'शांतिदूत' की मेहमान नवाजी को . इसे हम अतिथि देवोभव की प्राचीन राष्ट्रिय संस्कृति कहें या फिर हमारे सेकुलर शैतानो का आस्तीन में सांप पालने का गाँधी वादी व्यसन. हमारे 'ईमानदार', गाँधीवादी, अर्थशास्त्री,प्रधान मंत्री जी ने पाकिस्तान के वजीरे-आला युसूफ रज़ा गिलानी को दक्षेस शिखिर संमेलन में 'शांति पुरुष' कह कर अंग्रेजी की कहावत... 'As dog return to its vomit, so a fool repeat his foolishness. जैसे कुत्ता अपनी उल्टी खाने को लौटता है , वैसे ही मूर्ख अपनी गलती दोहराता है, की कहावत को चिरतार्थ कर दिया.
वोट के अंधे नाम नयन सुख हमारे यह 'सेकुलर शैतान' मूर्खता की सभी सीमाएं लांघ गए है . जिस शैतान ने हमारी आर्थिक राजधानी मुम्बई पर जेहादी भेज कर देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने का षड्यंत्र किया और १६६ निर्दोष भारतियों को मौत के घाट उतार दिया ...उसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने 'शान्ति पुरुष' की उपाधि दे डाली ... अब तो बस अजमल कसाब को ग्लानी जी का 'शांति दूत ' घोषित करना बाकी है. और हाँ एक दूत के साथ एक परम आदरणीय अतिथि के व्यवहार की तो सभी सीमाएं हम पार कर ही चुके .... ५५ करोड़ रूपए से भी अधिक , उसकी तीमारदारी पर खर्च कर ! अब तो बस यह ' शान्ति दूत ' वापिस पाक को बा- इज़त सौंपना ही बाकी है ... या फिर किसी कंधार हाईजैक का इंतज़ार है !
हमारे सिक-यु-लायर हुकुमरानो ने समय और इतिहास के काल चक्र से कोई सबक नही सीखा. इस्लामिक जेहाद ने पिछली १५ शताब्दिओ मे १०० मिलियन हिन्दुओ और ६० मिलियन इसाईयो की बळी ले लीई. और आज भी विश्व के अस्तित्व को इस्लामिक जेहाद से ही सबसे बडा खतरा है. शायद ये उस दिन के इंतेजार मे है जब सारा देश दारूल -इस्लाम हो जाएगा ?
आज 'गुरूपर्व' का पवित्र दिवस है - आज के दिन 'सरबत का भला ' चाहणे वाले महान संत गुरु नानक देव जी का परकाश हुआ था. गुरु जी 'बाबर' के समकालीन थे- बाबर के अत्याचारो को देख कर गुरु जी ने उसे 'जाबर' अर्थात जुलमी कह कर पुकारा. एनी मार पडी कुर्लाने- तै किई दर्द न आया भी गुरु जी ने बाबर के जुल्मो-सितम से द्रवित हो कर बोला.इसी दिन को हमारे सिंघ साहेब ने 'बाबर' के एक अनुयायी को 'शांती पुरुष' की उपाधी दे डाळी. २००५ में हमारे सिंघ साहेब अपने साथ राज कुमार को ले कर अफगाणिस्तान पहुचे ताकि भारत द्वारा अरबो रुपये खर्च कर किये जा रहे निर्माण कार्यो का जायजा ले सके. लगे हाथो बाबर की मजार पर गये और एक 'जाबार' को श्रद्धांजली अर्पित की . अब तो अफगाणिस्तान के हुक्म्रान करजाई ने भी साफ कर दिया की वे तो पाकिस्तान के साथ है ... भले ही भारत और अमेरीका उन पर कितना ही धन खर्च करे. ...कुरान में साफ हिदायत है की काफिर चाहे कितना ही धर्मात्मा हो वह किसी गुनाहगार मुस्लीम से बेहतर नही होता. करजाई के इस इस्लामिक तेवर से हमारे सिक-यु-लायर हुकमराण नही चेते ..और निकल पडे ग्लानी को अलंकरित करने. इसे कहते है - सांप को दूध पिलाने का पुराना व्यसन . चाणक्य के उपदेश को भी भूल गये ' सांप को कितना ही दूध पिलाओ फिर भी विष ही वमन करता है.
:(
जवाब देंहटाएं:(
Dear sir,
जवाब देंहटाएंVisit this Link http://insidestorymedia.com/index.php?option=com_content&view=article&id=1490:2011-11-14-08-30-53&catid=108:lr-gandhi&Itemid=598
Shashank Singh
Lead India Group
9990892816, 011-43015161