आज की राजनैतिक चवन्नी
एल.आर गाँधी
आज ही दो नहीं तीन खबरें देखने को मिलीं - एक खबर है कि कल से सरकार २५ नए पैसे का सिक्का वापिस ले रही है अर्थात अब कल से चवन्नी नहीं चलेगी. दूसरी खबर है कि हमारे मोहन प्यारे ने कहा है कि वह अब असहाय नहीं है. तीसरी खबर - अन्ना हजारे कल को सोनिया गाँधी से मिलेंगे शायद यह पूछेंगे कि यह 'चवन्नी' और कितने दिन चलेगी.
यका यक ऐसा क्या हो गया कि हमारे मोहन प्यारे जी को लगने लगा कि वे अब असहाय नहीं हैं. जो मनमोहन सिंह कल तक गठबंधन सरकार की मजबूरिया गिना गिना कर अपने आप को असहाय ज़ाहिर कर रहे थे - आज कौन सा 'चवनप्राश ' खा लिया है. ' चोरों का सरदार सिंह फिर भी इमानदार '- जिनकी नाक के नीचे भारतीय अर्थ व्यवस्था का चीर हरण होता रहा - महाघोटालों के पिछले सभी कीर्तिमान बौने पड़ गए ..और
धृतराष्ट्र की भांति यह दो आँखों वाला नयनसुख सब चुप चाप देखता रहा. १९ जून को कांग्रेस के राज कुमार राहुल के जन्म दिन पर हमारे 'शकुनी मामा' परम आदरणीय दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गी मिया ने पूरे जोर शोर से राज कुमार के राजतिलक का राग अलापा , मगर मोहन प्यारे मौन रहे.
अब हमारे अन्ना हजारे उर्फ़ आज के गाँधी - कल को सोनिया जी से मिलेंगे . जाहिर है वे सोनिया जी से यह तो नहीं पूछेंगे कि पिछले तीन साल में उनके विदेशी दौरों पर जो १८५० करोड़ रूपया सरकारी खजाने से खर्च किया गया ,उसकी जांच क्या लोक पाल के दायरे में आएगी ? या फिर यह पूछेंगे कि २१ जून को स्वामी ने जो राहुल बाबा पर देश का प्रधानमंत्री बनने पर कानूनी अडंगा लगाया है, में कितनी सच्चाई है. ? या फिर यह पूछेंगे कि भारतीय राजनीती की यह 'चवन्नी ' (मजबूरी) और कितने दिन चलेगी ?
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