आज की किलकारी -कल की चीत्कार !!!!!
प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिन ने बढ़ती आबादी के कारण बढ़ते प्रदूषण और सीमित होते संसाधनों के चलते विश्व वैज्ञानिकों को अब चाँद और मंगल ग्रहों पर मानव के लिए नए निवास स्थान बनाने की संभावनाएं तलाशने का आह्वान किया है. हाकिन के अनुसार पृथ्वी का अंत २०० साल में निर्धारित सा लगता है
चीन ने जहाँ एक परिवार और एक बच्चा की नीति अपनाते हुए अपनी आबादी को निर्धारित समय सीमा में नियोजित करने में सफलता हासिल कर ली है, हम लोग अभी भी 'परिवार नियोजन के नफे नुक्सान के गणित 'में उलझे हैं ,और इस खुश्फैह्मी में पड़े हैं की हम आबादी में चीन के बाद दुसरे नंबर पर हैं. बेचारे राजनेता तो इस विषय पर महज़ इस लिए चुप्पी साध लेते हैं कि कहीं उनका वोट बैंक न खिसक जाए. परिवार नियोजन पर संजय गाँधी ' योजना जैसी सख्ती तो बिलकुल नहीं -भाई लोग बिफर जायेंगे ! कुछ लोग तो जियादा आबादी के अब फायदे भी गिनाने लगे है और इसे भला सा नाम भी दे डाला है 'मैन पावर' . अब इस मैन पावर को निर्यात करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं. यानिके हमारे बच्चे अब लोग पालेंगे- वाह ! चीन ने अपनी बढती आबादी को नियोजित करने के साथ साथ मौजूदा आबादी को काम में लगा कर 'सस्ती लेबर' के दम पर विश्व अर्थव्यवस्था पर बढ़त हासिल की है. वहीँ हम ऐसा करने में पूर्णतया नाकाम रहे है.
हमारा चीन के साथ आबादी की तुलना करना भी बेमानी है. चीन के पास १९.५२ % आबादी के लिए ६.४ % भू क्षेत्र है , जबकि हमारे पास १७.२६ % आबादी के लिए है मात्र २.१% क्षेत्र . अर्थात जितने भू खंड पर चीन के १०० लोग आबाद /पलते हैं , उतने ही भू खंड पर हमारे २३४ लोगो को गुज़र बसर करना पड़ता है. इस प्रकार उपलब्ध संसाधनों और भूमि के लिहाज़ से जहाँ हम चीन से अढाई गुना पीछे हैं वहीँ आबादी में भी चीन से अढाई गुना आगे. मौजूदा हालात में यदि हमारी आबादी इसी प्रकार बढती रही तो यह अनुपात और कई गुना बढ़ जायेगा. हमारे यहाँ तो एक प्रदेश के लोगों को दुसरे प्रदेश में 'प्रवासी' कह कर दुत्कारा जाता है और हम दुसरे देशों पर आस लगाए बैठे है कि वे हमारी 'मैन पावर' को अपने यहाँ काम देंगे ; गैर के बच्चो को भला कोई पालता है. ?
अभी चांद पर प्लॉट सस्ते मिलेंगे न........ एक-दो लेकर डाल दो यार।
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