गन्दा है पर धंधा है....
नीरुजी और नसरीन खुश है और डरी हुई भी ...खुश इस लिए कि अबकी दिवाली से पहले ही उनकी दिवाली आ रही है. तीन अक्तूबर से दिल्ली में कामन वेल्थ खेलों के साथ ही उनका 'जिस्म फरोशी' का धंधा भी खूब चमकेगा ,तैयारिया अपने यौवन पर है. जिस्म के सौदागर तो २ अक्तूबर से पहले ही दस्तक देने लगेंगे. ... डर भी अपनी जगहां वाजिब है. ये नई नई लौंडियाँ क्या जानें -वे जानती हैं जिन्होंने पिछला मेला - झेला है. १९८४ में एशियन गेम्ज़ के मेले में ,सैंकड़ों लड़कियां एच आई वी कि शिकार हुईं और उनका अंत देख कर तो उनकी रूह कांप जाती है. आज मंगल वार है- वे दोनों ९६ कोठों के सामने वाले हनुमानजी के मंदिर में 'संकट मोचन' के दरबार में अरदास करने जा रहीं हैं - प्रभु ! हमारी अभागिन कन्याओं के संकट दूर करना. पिछले शुक्रवार ऐसी ही कामना पिछवाड़े में स्थित दो मस्जिदों में भी कर आई हैं थीं. इसके साथ ही अल्लाह और ईश्वर से यह भी फ़रियाद कर आईं कि हमें पुलसिया कहर के साथ साथ उन मनचले ग्राहकों से भी बचाए रखना जो 'बिना निरोध के सम्भोग का अनुरोध करते हैं' . ऐसे मनचले ग्राहक खुद तो मरते ही हैं और हमें भी मुसीबत में डाल देते हैं.
भला हो कलमाडी जी का - वे सौ साल तक खेलते रहे.... अबकी उन्होंने हमारा ख़ास ख्याल रखा है. कामन वेल्थ गाँव में २०० कंडोम मशीने लगवा दी हैं, जहाँ खिलाडिओं के साथ साथ अधिकारिओं को भी मुफ्त में 'निरोध' मिलेगा. कलमाड़ी जी ने उन मनचलों का भी हल ढूंढ लिया है , जिन्हें ' निरोध से नफरत ' है.दिल्ली की सेक्स वर्कर्ज़ को अबकी एक लाख फीमेल कंडोम सस्ते दामों मुहय्या करवाए जाएंगे . एक फिमेल कंडोम जो २०/- से ऊपर पड़ता है वो सेक्स वर्कर्ज़ को महज़ ३.५० में मिलेगा. चलो मनचलों का हल तो तलाश लिया अब पुलसिया कहर का क्या किया जाए ! वह तो बदस्तूर जारी रहेगा.. क्योंकि शीला सरकार 'इस गंदे धंधे को धंधा ही नहीं मानती. उनकी नज़र में तो यह सब गैर कानूनी है. फिर शीला जी कि पुलिस भला इन्हें कब बख्शने वाली है. भई ५०० करोड़ के अवैध धंधे में पुलिस के भाई लोगो का भी तो 'हक़' बनता है. फिर वे बेचारे भी कोई अकेले थोड़े सारा माल गटक जायेंगे -ऊपर के अफसरों को जी बी रोड पर डियूटी अलाट करने के भी तो दे कर आएं हैं ...
कलमाड़ी जी के खेले में जहाँ ७० देशों के ७०० खिलाडी भाग लेने आ रहे हैं वहीँ उनके इस खेले को सफल बनाने के लिए देश विदेश से हजारों सेक्स वर्कर्ज़ भी पहुँच रहे हैं .. कलमाड़ी जी कि तरहां ही जी बी रोड के कोठे भी विश्व स्तर की सेवाएँ देने वाले है. कोठे वाली हसीनाएं अब अंग्रेज़ी सीख रही हैं , अबकी वे अपने चाहने वालों को 'वेलकम'-थैंक्यू -कम अगेन ! के संबोधन से मंत्रमुग्ध कर देंगीं . विदेशी खिलाडी और सैलानी कलमाड़ी जी के खेल से खुश होंगे कि नहीं यह कहना तो मुश्किल है , मगर हमारी इन आधुनिक 'मेनकाओं ' के ज़ल्वों को तो वे चिर काल तक याद रखेंगे ही...
भाई लोग तो ऐसे सीजन का बेसबरी से इन्तजार करते है....
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