सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

सात के आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन


सात  के  आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन 
   
                एल .आर .गाँधी  

आज विश्व की आबादी ७ बिलियन का आंकड़ा पार कर गई .
फिलिपिन्ज़ की मनीला में जन्मी दानिका माय कामाचो और भारत में उत्तर प्रदेश के माल गाँव में जन्मी नर्गिस को सांकेतिक ७ बिलियन वां बच्चा घोषित किया गया .... भारत की नर्गिस निश्चित रूप से फिलिपीन की दानिका के समान भाग्यशाली नहीं मानी जाएगी . दानिका के जन्म पर टाप यु.एन.ओ अधिकारीयों ने  बच्ची के जन्म पर छोटा सा केक भेंट किया और स्थनीय दानिओं ने बच्ची की पढाई के लिए स्कालरशिप और उसके पिता को एक जनरल स्टोर सञ्चालन के लिए पैकेज  दिया.
 हमारी नर्गिस को ? 
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है...... 
आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिन भी है ....हज़ारो साल बाद राष्ट्र को नई दिशा देने वाला ऐसा सपूत पैदा होता है. इंदिरा जी का आज बलिदान  दिवस भी .....
नर्गिस की बेनूरी , राष्ट्र की बर्बादी का स्पष्ट संकेत है, २०२५ तक हम  विश्व के सबसे अधिक जनसैलाब में डूबे हुए देश के रूप में जाने जाएंगे .विश्व की कुल आबादी का एक तिहाई चीन और भारत के हिस्से आता है.चीन ने तीन  दशक पूर्व ही कठोर परिवार नियोजन निति के तहत एक संतान का कानून बना कर अपनी जनसँख्या को नियंत्रित कर लिया और २०५० तक जनसँख्या घटनी शुरू हो जाएगी और भारत अभी तक औलाद तो अल्लाह की देन है.... पर अटका हुआ है.
कलकत्ता के बी.सी.राए हस्पताल में पिछले दिनों १७ नवजात शिशु चिकित्सा सुविधा के आभाव में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए .... तो हमारे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मियां गुलाम नबी आजाद ने फ़रमाया की चिंता की कोई बात नहीं ... अब बर्दवान में एक और शिशु की मौत से यह आंकड़ा ३६ को पार कर गया . आजाद साहेब के डिप्टी मंत्री सुदीप बंधोपाध्य जी आजाद  साहेब को  भी पीछे छोड़ गए ... फ़रमाया - बंगाल की शिशु मृत्यु दर तो महज़ ३३ बच्चे प्रति  १००० है , जबकि राष्ट्रिय दर ६१ बच्चे प्रति १००० है., जैसे बंदोपाध्य जी केंद्र के नहीं प्रदेश के सेहत मंत्री हों और जब तक बंगाल में भी शिशु मृत्यु दर ६१ का आंकड़ा पार न कर जाए , चिंता  की कोई बात  नहीं....!!!!
देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल द्वारा देर से ही सही, पहली बार एक राष्ट्रहित की  पहल की गई. महिलाओं की समाजिक और निजी भलाई को ध्यान में रखते हुए , परिवार नियोजन का एक कानून बनाने की योजना रूपांतरित की गई . दो बच्चो के बाद , संतान पैदा करने वाले दम्पति पार १०००० रूपए जुर्माना और ३ माह की कैद. ईसाई और मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया और अपने मज़हब के खिलाफ बताया. ... आज़ाद साहेब ने फ़ौरन नोटिस लिया और केरल सरकार  को जन्म से पूर्व ही कानून को दफन करना पड़ा. चीन में जहा दूसरे बच्चे को ब्लैक चाइल्ड घोषित कर सभी सामाजिक सुविधाओं से वंचित  कर दिया जाता है और माँ - बाप  को भारी  जुर्माना व्  दंड    दिया जाता है. ., वहीँ केरल सर्कार की इस पहल की प्रतिक्रिया सवरूप एक मज़हबी संस्था ने छठे बच्चे पार १०००० रूपए इनाम की घोषणा कर डाली. कुछ मज़हबी मुल्लाओं द्वारा  अधिक बच्चे पैदा करने की वकालत इस लिए की जाती है की वे भारत को  'दारुल उलूम से दारुल इस्लाम ' देखना चाहते हैं.... 
हमारे सेकुलर शैतान यदि यूं ही अपने  वोट बैंक की खातिर हर नर्गिस को 'अल्लाह' की देन मानते रहे ,तो वह दिन दूर नहीं  जब राष्ट्र का भविष्य सात के पीछे नौं शून्य नहीं ... अनंत शून्यों में समा जाएगा.!!!!!       




सात के आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन

सात  के  आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन 
आज विश्व की आबादी ७ बिलियन का आंकड़ा पार कर गई .
फिलिपिन्ज़ की मनीला में जन्मी दानिका माय कामाचो और भारत में उत्तर प्रदेश के माल गाँव में जन्मी नर्गिस को सांकेतिक ७ बिलियन वां बच्चा घोषित किया गया .... भारत की नर्गिस निश्चित रूप से फिलिपीन की दानिका के समान भाग्यशाली नहीं मानी जाएगी . दानिका के जन्म पर टाप यु.एन.ओ अधिकारीयों ने  बच्ची के जन्म पर छोटा सा केक भेंट किया और स्थनीय दानिओं ने बच्ची की पढाई के लिए स्कालरशिप और उसके पिता को एक जनरल स्टोर सञ्चालन के लिए पैकेज  दिया.
 हमारी नर्गिस को ? 
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है...... 
आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिन भी है ....हज़ारो साल बाद राष्ट्र को नई दिशा देने वाला ऐसा सपूत पैदा होता है. इंदिरा जी का आज बलिदान  दिवस भी .....
नर्गिस की बेनूरी , राष्ट्र की बर्बादी का स्पष्ट संकेत है, २०२५ तक हम  विश्व के सबसे अधिक जनसैलाब में डूबे हुए देश के रूप में जाने जाएंगे .विश्व की कुल आबादी का एक तिहाई चीन और भारत के हिस्से आता है.चीन ने तीन  दशक पूर्व ही कठोर परिवार नियोजन निति के तहत एक संतान का कानून बना कर अपनी जनसँख्या को नियंत्रित कर लिया और २०५० तक जनसँख्या घटनी शुरू हो जाएगी और भारत अभी तक औलाद तो अल्लाह की देन है.... पर अटका हुआ है.
कलकत्ता के बी.सी.राए हस्पताल में पिछले दिनों १७ नवजात शिशु चिकित्सा सुविधा के आभाव में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए .... तो हमारे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मियां गुलाम नबी आजाद ने फ़रमाया की चिंता की कोई बात नहीं ... अब बर्दवान में एक और शिशु की मौत से यह आंकड़ा ३६ को पार कर गया . आजाद साहेब के डिप्टी मंत्री सुदीप बंधोपाध्य जी आजाद  साहेब को  भी पीछे छोड़ गए ... फ़रमाया - बंगाल की शिशु मृत्यु दर तो महज़ ३३ बच्चे प्रति  १००० है , जबकि राष्ट्रिय दर ६१ बच्चे प्रति १००० है., जैसे बंदोपाध्य जी केंद्र के नहीं प्रदेश के सेहत मंत्री हों और जब तक बंगाल में भी शिशु मृत्यु दर ६१ का आंकड़ा पार न कर जाए , चिंता  की कोई बात  नहीं....!!!!
देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल द्वारा देर से ही सही, पहली बार एक राष्ट्रहित की  पहल की गई. महिलाओं की समाजिक और निजी भलाई को ध्यान में रखते हुए , परिवार नियोजन का एक कानून बनाने की योजना रूपांतरित की गई . दो बच्चो के बाद , संतान पैदा करने वाले दम्पति पार १०००० रूपए जुर्माना और ३ माह की कैद. ईसाई और मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया और अपने मज़हब के खिलाफ बताया. ... आज़ाद साहेब ने फ़ौरन नोटिस लिया और केरल सरकार  को जन्म से पूर्व ही कानून को दफन करना पड़ा. चीन में जहा दूसरे बच्चे को ब्लैक चाइल्ड घोषित कर सभी सामाजिक सुविधाओं से वंचित  कर दिया जाता है और माँ - बाप  को भारी  जुर्माना व्  दंड    दिया जाता है. ., वहीँ केरल सर्कार की इस पहल की प्रतिक्रिया सवरूप एक मज़हबी संस्था ने छठे बच्चे पार १०००० रूपए इनाम की घोषणा कर डाली. कुछ मज़हबी मुल्लाओं द्वारा  अधिक बच्चे पैदा करने की वकालत इस लिए की जाती है की वे भारत को  'दारुल उलूम से दारुल इस्लाम ' देखना चाहते हैं.... 
हमारे सेकुलर शैतान यदि यूं ही अपने  वोट बैंक की खातिर हर नर्गिस को 'अल्लाह' की देन मानते रहे ,तो वह दिन दूर नहीं  जब राष्ट्र का भविष्य सात के पीछे नौं शून्य नहीं ... अनंत शून्यों में समा जाएगा.!!!!!       




शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

कुत्तों का खेल प्रेम

कुत्तों का खेल प्रेम 

एल.आर.गाँधी 

भारत  फ़ॉर्मूला वन के आयोजक विश्व की सबसे भव्य और मंहगी कार रेस की तैयारी का जायजा लेने की अभी सोच ही रहे थे की माया जी के ' कालू ' ने ट्रैक पर मटरगश्ती कर ' बढ़िया है ' का उद्घोष  कर डाला ... प्रबंधको के होश फाख्ता हो गए ..सेवकों को भगाया ..कालू को भगाने को . जैसे तैसे कालू से निजात मिली ही थी की  शीला जी के 'भूरू महाशय ' कहीं से आ टपके . भूरू  से किसी प्रकार पीछा छुड़ाया ही था की भारतीय मिडिया के 'वाच डाग' अपने लाव- लश्कर के साथ आ धमके .... सभी चैनलों पर बस एक ही खबर बज रही थी ..ठीक वैसे ही जैसे किसी चोर  के आगमन पर गली के कुत्ते एक ही स्वर में भौंकते हैं. एक ही पल में सभी चैनलों ने 'दिग्गी मियां' की अन्ना पर भौं - भौं को भुला दिया. शुमाकर से ज्यादां तो आवारा कुत्ते प्रचार पा गए .. इसे कहते हैं चौथे खम्भे की टी. आर पी. सारे मिडिया ने कालू- भूरू की कुछ इस कदर खबर ली.. जैसे वे इनके इस पवित्र खम्भे  पर  टांग उठा कर कुछ कर गए हों. 
जब से मेनका जी का वरद हस्थ इन 'वफादार' श्वानों को प्राप्त हुआ है ..इनकी संख्या और क्रीडा कौशल में असीम वृद्धि दर्ज हुई है. हाल ही में हुई कमान वेल्थ खेलों  में भी इन्होने अपने खेल प्रेम का खूब परिचय दिया. कलमाड़ी जी ने दिन रात एक कर खेल ग्राम का निर्माण करवाया ताकि विदेशी खिलाडियों को दिल्ली में विश्व स्तर की आवास सुविधा मुहैया करवाई जाए .... बड़े शौक से अपनी उपलब्धि कामन वेल्थ खेल संघ के प्रेजिडेंट माईकल फेनेल को दिखने ले आए ... जब खिलाडियों के लिए बनाए कमरे  को खोला तो खिलाडी के बेड पर शीला जी के 'भूरू महाशय' आराम फरमा रहे थे... फेनेल भूरू को देख बिफर गए .. पूरे के पूरे खेल ग्राम को गन्दा और आवास अयोग्य करार दे दिया.  आनन् फानन में शीला जी ने अपने आवारा- पालतुओं को संभाला ...तब तक नहीं छोड़ा  जब तक फेनेल महाशय विदा नहीं हो गए. 
विदेशी महमान हमारे इन देसी वफादारों से  न मालूम क्यों  इस कदर खफा हैं ... हमारे राजनैतिक वफादार बिना कारण ही नित नई भौं- भौं में मशगूल हैं ..रोकता है कोई ?   कालुओं -भूरूओं पर मेनका जी का वरद हाथ है तो दीग्गिओं  और लालूओं पर राज माता का . अब शीला जी भी क्या करें, जब से मेनका जी ने श्वान- वध पर  रोक लगाई है , दिल्ली में इनका परिवार 4 लाख का आंकड़ा पार कर गया है. मेनका जी ने तो इनकी संख्या पर नियंत्रण के लिए ' नस बंदी' का भी प्रावधान किया था. मगर शीला जी को यह सुझाव हज़म ही नहीं हुआ . जब लालुओं पर परिवार नियोजन की ज़बरदस्ती नहीं हो सकती तो कालुओं पर कैसे हो सकती है. हर साल केवल दील्ली में ही ३५०००  लोग इनका शिकार होते  हैं और २-३ दर्ज़न लोग तो बेमौत मारे भी जाते  हैं.हर साल १०००० नए पिल्लै जन्म लेते हैं और नसबंदी मात्र ६००० की हो पाती है . 
कुत्तो का खेल प्रेम केवल हमारी ही समस्या  नहीं .. २०१२ में फुटवाल विश्व कप के आयोजक भी अपने इन खेल प्रेमियों से जूझ   रहे हैं. युक्रेन के अधिकारी तो चुप चाप कुत्तों को ठिकाने लगा रहे हैं , भले ही पशु प्रेमी संगठन कितना ही हो हल्ला मचाएं . खेल आयोजक नगरों में गत वर्ष से अब तक ९००० कुत्तों को मौत की नींद सुला दिया गया है.  
हम आस्तीन में सांप पालने वाले भला श्वान- वध का पाप कैसे कर सकते है. भले ही ये कितने ही 'हिन्दुस्तानियों' को काट खाएं या डस लें ... बढती आबादी को कम करने और परिवार नियोजन की यह भी आज़ाद मियां की एक नायाब योजना ही तो है.  

रविवार, 23 अक्तूबर 2011

करज़ई का पाक- प्रेम

     करज़ई का पाक- प्रेम
    एल. आर गाँधी  

करज़ई ने साफ़ कर दिया की 'कुरआन' को मानने वाले कभी काफिरों का साथ नहीं देते ! अफगानिस्तानी और पाकिस्तानी भाई भाई हैं और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की स्थिति में हम अमेरीका और भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देंगे. अरबों डालर  खर्च कर और हजारों अमेरिकी सैनिक मरवा कर अफगानिस्तान में करज़ई को सत्ता सौंपी ताकि वहां सेकुलर -गणतंत्र कायम किया जा सके . अमेरीका ने भी भारत के सेकुलर शैतानों की भांति इतिहास से कुछ नहीं सीखा. क्या दुनिया के किसी भी मुस्लिम बहुल मुल्क में लोकतंत्र है ? अमेरिका के बहकावे में आ कर भारत के भौंदुओं ने भी अफगानिस्तान में अरबों रूपए विकास कार्यों में झोंक दिए. चलो अमेरिका तो समृद्ध देश है और इस्लामिक आतंकियों -ओसामा आदि से बदला लेने और अपने एक्सपायर हो रहे असले के प्रदर्शन के लिए अफगानिस्तान के मरुथल को युद्ध भूमि में बदल दिया. मगर भारत जैसे भूखे नंगे देश जिसकी दो तिहाई जनता दो जून के निवाले को मोहताज़ है , के हुक्मरानों की घर फूंक दिवाली पर तरस आता है. 
बंगला देश की आज़ादी के लिए इंदिरा जी ने देश का अरबों रुपया पानी की माफिक बहाया ...ताकि पड़ोस में एक धर्म निरपेक्ष देश उभर सके ... मगर पाकिस्तान से भी ज्यादा खतरनाक बन कर उभरा बांग्लादेश ... आज़ादी के वक्त जहाँ ३४% हिन्दू अल्पसंख्यक थे ... आज महज ७% से भी कम रह गए और करोड़ों बांग्लादेशी भारत में प्रवेश कर गए .. देश की सुरक्षा के लिए एक नई मुसीबत , सो अलग.
आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य ने ठीक ही तो कहा था .... सांप को कितना ही दूध पिला लो ...पैदा तो ज़हर ही होगा. इस्लाम में मुसलमानों को रसूल की सख्त हिदायत है ' कोई भी मुसलमान चाहे वह हमेशां गुनाह क्यों न करता हो , एक काफ़िर से बेहतर होता है , चाहे वह काफ़िर हमेशां पुण्यात्मा भी क्यों न हो ... इस बात को न मानना 'कुफ्र' है ' 
अब अमेरिका और भारत अफगानिस्तान के लिए हजार पुन्य के काम कर लें ...वहां हस्पताल बनाएं , मदरसे उसारें , सडकें बनाएं ..भूख से बेहाल अफगानियों भोजन पहुंचाएं...रहेंगे तो काफ़िर के काफ़िर ... और पाकिस्तान कितनी ही दहशत फैलाए , नुक्सान पहुंचाए .. रहेगा तो 'रसूल' को मानने वाला 'भाई' ही.
   

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

गिद्ध मानसिकता


गिद्ध मानसिकता 
  एल.आर.गाँधी 
हिमाचल में श्वेत्पोश   गिद्धों  की एक प्रजाति की संख्या पिछले छह  साल में बढ़ कर ५० से १९० हो गई है. एक संतोष   जनक   समाचार   है ... गिद्ध एक ऐसा जीव है जो वातावरण की शुद्धिकरण का महती कार्य करता है. मृत लावारिस पशु-पक्षियों को खा कर प्राकृतिक सफाई सेवक का काम करता है. मगर पशुओं को दिए जाने वाले डिकलोफिनाक इंजेक्शन के दुष्प्रभाव  से गिद्ध मारे जाते हैं. अब इस इंजेक्शन पर रोक लगाने से गिद्धों की संख्या बढ़ने लगी है. 
समाजिक मान्यताओं में गिद्ध को अशुभ्यंकर  माना जाता है.क्योंकि यह अपने खाने के लिए जीवो की मृत्यु की कामना करता है. अपने लालच की पूर्ती के लिए दूसरों के अहित की आकांक्षा करने वाले लालची व्यक्ति को भी इसी लिए 'गिद्ध ' उपनाम से बुलाते हैं. भारत में भले ही इन श्वेत्पोश गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है मगर  गिद्ध मानसिकता से ओत प्रोत 
श्वेत्पोश राजनेताओं और अफसरशाही खूब फलफूल रही है. बेचारा गिद्ध भरपेट खाने के लालच में डिक्लोफिनाक युक्त मांस खा कर मारा जाता है...मगर ये एक प्रतिशत  गिद्ध- मानस ४५% जनता का आहार हड़प कर भी डकार तक नहीं मारता... गिद्ध अपने पेटू पण के लिए यूं ही बदनाम है ..  एक वक्त में ,अपने वज़न का, १०% के करीब खता है ... संचय बिलकुल नहीं करता. गिद्ध- मानव खाता तो दिखावे को भी नहीं , मगर संचय ...घर की तिज़ोरिओं में ज़गह नहीं तो ' स्विस 'की तिज़ोरिया सही.
एक पुराना शेयर है ... हर शाख पे उल्लू बैठा है ...अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा.... मगर अब तो हर तरफ 'गिद्धों' का निजाम है. गिद्धों की प्रिय स्थली हिमाचल ने ही  देश  को दूर-संचार क्रांति के जनक दिए ...इस महान 'क्रन्तिकारी' ने दूर संचार विभाग को इस कदर चूना लगाया कि शर्म के मारे हिमाचल के सारे के सारे  गिद्ध या मर गए या फिर भाग खड़े हुए...घर घर तक दूर संचार की 'सुख' सुविधा पहुँचाने के नाम पर करोड़ों रूपए की टेलीफोन तारें अन्डर ग्राऊंड कर दी. आज सरकार का टेलीफोन बिना घंटी के बज रहा है और सुनने वाला कोई नहीं... बेतार मोबाईल का राज जो आ गया .. बस राजा साहेब ने दूर संचार की २- जी ऐसी बेतार छेड़ी कि पिछले सभी रिकार्ड पीछे छूट गए ... आप तो गए 'तिहाड़' में 'औरों ' की भी तैयारी है. चलो इसी बहाने खेलो में न सही दूर संचार में लूट -समाचार का नया कीर्तिमान तो बना . 
खेल खेल में हमारे कलमाड़ी जी ने ऐसी उड़ान भरी कि गिद्धों' का सम्राट भी शर्म के मारे 'चोरों के सरदार' की छत पर आ गिरा और हमारी शीला जी को पूरी दिल्ली में मुंह छुपाने को कोई 'बुरका' नहीं मिला. 
अरे गिद्ध मंडली में गिद्धों के सरदार , किरीकिट के जानकार, किसानों के जानहार, अनाज के कीड़े, चीनी माफिया के पालनहार ,पी. डी. एस के डिपो होल्डर , महंगाई के चमत्कार और जिस चीज़ का नाम लें ..बस गायब ... ढूँढते रह जाओगे ... का जिक्र करना तो भूल ही गए .... न मालुम अपने इतने निकटवर्ती  होने के बावजूद.. अन्ना भी इनका ज़िक्र करने से चूक गए ... काश ... अन्ना ही अपने जन लोकपाल चूर्ण में डिक्लोफिनाक मिला दें और सब कुछ खाने के आदि ये गिद्ध- मानुस 'खा' तो लेंगे ही... सभी  भूखे -नंगे भारतीय टेढ़ी तिरछी टोपी लिए मैं भी अन्ना तूं  भी अन्ना की धुन पर झूम उठेंगे.