चोखी लामा उदास है
गज़ब कि ज़ल्दी में थे आज ' चोखी लामा ' . वी शेप कि चप्लियाँ आज हाथों कि ज़गह पाऊँ में चमक रही थी . हम यूँ ही पूछ बैठे 'चोखी भाई 'बहुत ज़ल्दी में हो - चप्लिया घिस जाएंगी .फ़ौरन कटी पतंग कि भांति तुनक गए और बोले ' आप अखबार वालों को कोई काम धंधा तो है नहीं ! चले आते हैं मीन मेख निकलने . अरे भाई कुछ मालुम भी है 'बड़े खेला' में महज़ ७० दिन बचे हैं और काम बाकि पड़ा है ७०० दिन का. इस
लिए कलमाड़ी जी ने कहा है बस और मटर गश्ती हरगिज़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी .दिन रात एक करना होगा -हमारी नाक का सवाल ही नहीं -शीला जी ,मनमोहन जी और सबसे ऊपर सोनिया जी की भी नाक का सवाल है . मैंने कहा अरे भई देश की नाक का भी तो है. चोखी लामा ने मुझे ऐसे देखा जैसे मास्टर किसी नालायक बालक को देख रहा हो और बोला अरे भाई जब सोनिया जी कि नाक आ गई फिर देश
की नाक क्या पीछे छूट गई है. कलमाड़ी जी ने तो २१ जुलाई 'डेड डेट' मुकरर की थी और उसे छूटे भी सात रोज़ बीत गए ,ऊपर से इन्दर देव भी खलनायक का खेल खेलने पर उतारू हो गया- मणि शंकर अय्यर के उकसाने पर. विरोधी दल और पत्रकार क्या कम थे जो अपने भी गुड गोबर करने चले आए .
चोखी भाई आप कल कहाँ थे -सुना है किसी मय्यत में गए थे.चोखी का जोश उदासी में बदल गया. क्या बताएं भैया .... परसों रात रात के एक बजे हमारे मजदूर भाई ऐअर पोर्ट के पास फ्लाई ओवर पर कारपेटिंग का काम कर रहे थे एक होंडा सिटी आई और सड़क पर काम में मशगूल आठ मजदूरों को रौंद कर चली गई, चार तो वहीँ पर दम तोड़ गए और चार हस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. ड्राइवर साहिल खान तो भाग गया -आलम खान व् शाहबाज़ को लोगो ने पकड़ा और पुलिस ने छोड़ दिया. ? इन को मिला कर अब तक ४६ मजदूर 'खेलों' कि भेंट चढ़ चुके है और सरकारी सहायता मिली है केवल मात्र 'एक' को.कोई भी ठेकेदार मजदूरों का पंजीकरण ही नहीं करवाता और बिना पंजीकरण के आप को तो मालूम है किसी मजदूर को सरकार मजदूर ही नहीं मानती. हाई कोट के हुक्म के बाद अब कुछ लोगों का पंजीकरण होने लगा है, जो गए सो गए ....
बुधवार, 28 जुलाई 2010
बुधवार, 21 जुलाई 2010
पाक कितना पाक
पाक कितना पाक ......
शर्म और हया का लबादा ओढ़े कौम का असली चेहरा !
पाक पोर्न साईट्स देखने में सबसे आगे ....समाचार चैनल फॉक्स न्यूज़ अमरीका ने खुलासा किया है कि कम्पियूटर पर 'नंगी -फुंगी' अर्थात अश्लील साईट्स देखने वालों में पाकिस्तान विश्व में पहले नंबर पर हैं .
पाकिस्तानी यूँ तो अपने आप को दुनिया के सबसे पाक अर्थात पवित्र होने का ढोंग करते नहीं अघाते किन्तु चुपके चुपके नंगी तसवीरें देखने की अपनी आदत से मजबूर हैं. बेशक पाकिस्तान विश्व का पहला देश है जहाँ की सरकार ने ऐसी १७ अश्लील साइट्स पर अपने यहाँ रोक लगा रखी है. फिर भी पाकिस्तानी कम्पुटर पर गन्दी से गन्दी सभी साइट्स देखने को लालायित दिखाई देते हैं जैसा कि इन के द्वारा क्लिक की जाने वाली पोर्न साइट्स से जग जाहिर हो जाता है. पाक के ये 'मोमिन' अश्लील साइट्स में -होर्स सेक्स ,डोंकी सेक्स,रेप सेक्स ,रेप पिक्चर्स ,चाईल्ड सेक्स , एनिमल सेक्स डाग सेक्स जैसी अश्लील हरकतें तलाशने में मशरूफ रहते हैं.
बेशक कुरआन को मानने वालों के लिए ऐसा सब कुछ हराम है. शरियत में तो यह एक दंडनीय अपराध है. महिलाओं के लिए तो सर से पाओं तक बुरका ताकि कोई मर्द उसे देख कर अपना ईमान न गवा बैठे. और मर्द के लिए अपनी वासना को तृप्त करने के लिए चार- चार निकाह जायज़ हैं उस पर ही बस नहीं यदि कोई औरत शौहर कि हुक्म अदूली करे तो उसे ' पीटो-मारो '...किसी आदमी से यह नहीं पूछा जायेगा कि उसने अपनी बीवी को क्यों पीटा -पैगम्बर . यही नहीं आदमी को एक समय में चार बीविया तक रखने की इज़ाज़त है और इसके आलावा उतनी लौंडिया भी जीतनी तुम्हारे बस में हों. (४.३).
पाकिस्तान की नींव ही झूठ और फरेब की ज़मीन पर पड़ी है. अलामा इकबाल ने सबसे पहले मुसलमानों के लिए 'अलग कौम अलग देश ' की वकालत की. इकबाल के पुरखे कश्मीरी पंडित थे. जो अपना धर्म छोड़ कर दीनी हो गए. जिन्न्हा की तरहां इकबाल भी पहले पहल अपने आप को राष्ट्रवादी मौलाना कहलाते थे -अपने तराना ऐ हिंद में बड़े फख्र से लिखा ' मज़हब नहीं सिखाता , आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा, बाद में इकबाल ने अपने पुरखों की मानिंद ही ऐसी पलटी मारी की तराना ऐ हिंद पलट कर तराना- ऐ- मिल्ली बन गया और बदल कर 'चीनो अरब हमारा, हिन्दोस्तान हमारा , मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा 'हो गया.
ऐसे ही सदर ऐ पाक जनाब जिन्ना साहेब के पुरखे भी गुजरात के खोजे बनिए थे जो पलट कर अपना धर्म छोड़ छाड़ 'मोमिन ' हो गए.जिन्ना भी पहले पहल राष्टवादी थे फिर इकबाल की सांगत में ऐसी पलटी मारी की अपनी कौम के लिए अलग 'पाक' पवित्र मुल्क से कम पर कोई समझौता नहीं पर अड़े रहे. जिन्ना साहेब ने अपने से एक तिहाई उम्र की पारसी लड़की 'रति' से शादी कर मज़हब- जात पात को पहले तो नकार दिया फिर दुसरे ही पल रति का धर्म परिवर्तन करवा कर उसे रत्तन बाई बना दिया.जिन्ना एक ओर तो अपने आप को पश्चमी ख्यालों का अडवांस व्यक्ति ज़ाहिर करते थे और किसी भी इस्लामिक रीती रिवाज़ को न मानने वाला माड्रन शख्स दर्शाते हुए 'हराम गोश्त' खाने से भी नहीं थे चूकते. दूसरी ओर अपने आप को मुसलमानों का खैर ख्वाह कायदे आज़म का ढोंग भी पूरी चालाकी से रचते.जिन्ना ने तो पाकिस्तान को सेकुलर मुल्क बनाने की घोषणा की थी पर बन गया 'इस्लामिक रिपब्लिक '.
अब पाकिस्तानिओं से हम क्या तवक्को कर सकते है. जैसा इखलाक इकबाल और जिन्ना ने उनको विरासत में दिया उसे ही तो वे जी रहे हैं . कहने को मोमिन और झांकते है गैरों की ख्वाब्गाहों में !
शर्म और हया का लबादा ओढ़े कौम का असली चेहरा !
पाक पोर्न साईट्स देखने में सबसे आगे ....समाचार चैनल फॉक्स न्यूज़ अमरीका ने खुलासा किया है कि कम्पियूटर पर 'नंगी -फुंगी' अर्थात अश्लील साईट्स देखने वालों में पाकिस्तान विश्व में पहले नंबर पर हैं .
पाकिस्तानी यूँ तो अपने आप को दुनिया के सबसे पाक अर्थात पवित्र होने का ढोंग करते नहीं अघाते किन्तु चुपके चुपके नंगी तसवीरें देखने की अपनी आदत से मजबूर हैं. बेशक पाकिस्तान विश्व का पहला देश है जहाँ की सरकार ने ऐसी १७ अश्लील साइट्स पर अपने यहाँ रोक लगा रखी है. फिर भी पाकिस्तानी कम्पुटर पर गन्दी से गन्दी सभी साइट्स देखने को लालायित दिखाई देते हैं जैसा कि इन के द्वारा क्लिक की जाने वाली पोर्न साइट्स से जग जाहिर हो जाता है. पाक के ये 'मोमिन' अश्लील साइट्स में -होर्स सेक्स ,डोंकी सेक्स,रेप सेक्स ,रेप पिक्चर्स ,चाईल्ड सेक्स , एनिमल सेक्स डाग सेक्स जैसी अश्लील हरकतें तलाशने में मशरूफ रहते हैं.
बेशक कुरआन को मानने वालों के लिए ऐसा सब कुछ हराम है. शरियत में तो यह एक दंडनीय अपराध है. महिलाओं के लिए तो सर से पाओं तक बुरका ताकि कोई मर्द उसे देख कर अपना ईमान न गवा बैठे. और मर्द के लिए अपनी वासना को तृप्त करने के लिए चार- चार निकाह जायज़ हैं उस पर ही बस नहीं यदि कोई औरत शौहर कि हुक्म अदूली करे तो उसे ' पीटो-मारो '...किसी आदमी से यह नहीं पूछा जायेगा कि उसने अपनी बीवी को क्यों पीटा -पैगम्बर . यही नहीं आदमी को एक समय में चार बीविया तक रखने की इज़ाज़त है और इसके आलावा उतनी लौंडिया भी जीतनी तुम्हारे बस में हों. (४.३).
पाकिस्तान की नींव ही झूठ और फरेब की ज़मीन पर पड़ी है. अलामा इकबाल ने सबसे पहले मुसलमानों के लिए 'अलग कौम अलग देश ' की वकालत की. इकबाल के पुरखे कश्मीरी पंडित थे. जो अपना धर्म छोड़ कर दीनी हो गए. जिन्न्हा की तरहां इकबाल भी पहले पहल अपने आप को राष्ट्रवादी मौलाना कहलाते थे -अपने तराना ऐ हिंद में बड़े फख्र से लिखा ' मज़हब नहीं सिखाता , आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा, बाद में इकबाल ने अपने पुरखों की मानिंद ही ऐसी पलटी मारी की तराना ऐ हिंद पलट कर तराना- ऐ- मिल्ली बन गया और बदल कर 'चीनो अरब हमारा, हिन्दोस्तान हमारा , मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा 'हो गया.
ऐसे ही सदर ऐ पाक जनाब जिन्ना साहेब के पुरखे भी गुजरात के खोजे बनिए थे जो पलट कर अपना धर्म छोड़ छाड़ 'मोमिन ' हो गए.जिन्ना भी पहले पहल राष्टवादी थे फिर इकबाल की सांगत में ऐसी पलटी मारी की अपनी कौम के लिए अलग 'पाक' पवित्र मुल्क से कम पर कोई समझौता नहीं पर अड़े रहे. जिन्ना साहेब ने अपने से एक तिहाई उम्र की पारसी लड़की 'रति' से शादी कर मज़हब- जात पात को पहले तो नकार दिया फिर दुसरे ही पल रति का धर्म परिवर्तन करवा कर उसे रत्तन बाई बना दिया.जिन्ना एक ओर तो अपने आप को पश्चमी ख्यालों का अडवांस व्यक्ति ज़ाहिर करते थे और किसी भी इस्लामिक रीती रिवाज़ को न मानने वाला माड्रन शख्स दर्शाते हुए 'हराम गोश्त' खाने से भी नहीं थे चूकते. दूसरी ओर अपने आप को मुसलमानों का खैर ख्वाह कायदे आज़म का ढोंग भी पूरी चालाकी से रचते.जिन्ना ने तो पाकिस्तान को सेकुलर मुल्क बनाने की घोषणा की थी पर बन गया 'इस्लामिक रिपब्लिक '.
अब पाकिस्तानिओं से हम क्या तवक्को कर सकते है. जैसा इखलाक इकबाल और जिन्ना ने उनको विरासत में दिया उसे ही तो वे जी रहे हैं . कहने को मोमिन और झांकते है गैरों की ख्वाब्गाहों में !
शनिवार, 17 जुलाई 2010
बादल साहेब के नौं रतन ....
बादल साहेब के नौं -रतन...
पंजाब भयंकर बाढ़ की चपेट में है और बदल साहेब के नौं रत्तन स्काट लैंड की तफरी पर गए हैं . सरकार के पास बाढ़ पीड़ितों के लिए धन का भारी 'टोटा '(कमीं) है , फिर भी अपने आठ विधायकों के लिए स्काट लैंड भ्रमण का जुगाड़ बना ही लिया गया. ये विधायक स्काट लैंड जा कर पता करेंगे की कैसे शराब के कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल से बचाव किया जाए . अब लोग यह न कहें की इन विधायको के पास कौन सी तकनिकी योग्यता है जिस के आधार पर ये प्रदूषण निरोधक जानकारी समझ पाएंगे . इस का भी हल तलाश लिया गया एक एक्सियन को भी अपने दल में शामिल कर हो गए 'बदल साहेब के नौं रतन'.
अब विरोधी दल कांग्रेस को भला कब हजम होती यह 'बादल नीति' , लगे विरोध जताने -पंजाब आसमानी बादलों की 'कृपा ' से बाढ़ में डूबा जा रहा है और ज़मीनी बादल साहेब के मंत्री आसमान में उड़ रहे हैं . इन्हें किसानो की और उनकी फसल की कोई प्रवाह नहीं . और तो और कांग्रेस के कैप्टन -महाराजा अमरेन्द्र सिंह भी यका यक कहीं से प्रकट हो गई और लगे किसानों की बदहाली पर आंसू बहाने -फसलें खराब हो रहीं हैं -गरीब दाने दाने को मोहताज़ है -यह कैसा बादल राज़ है. कैप्टन साहेब के इस रुदन पर हमारी भी आँखें रुदाली हो उठीं ! पिछले दिनों किसी पत्रकार ने खुलासा किया की पंजाब का लाखों टन आनाज खुले आसमान के नीचे सड रहा है और आनाज की संभाल के लिए बनाये गए सरकारी 'वेयर हाउसिस' शराब के ठेकेदारों को गोदाम के तौर पर लीज़ पर दे रखे हैं. बाद में राज़ खुला तो 'कैप्टन साहेब की कलई भी खुल गई. ये गोदाम कैप्टन साहेब ने अपने मुख्या मंत्री काल में अपने चहेते 'शराब माफियाओं 'को औने पौने दामों पर लीज़ पर दिए थे. यह है कैप्टन साहेब का किसान और उसकी फसल के प्रति प्रेम ?मज़े की बात तो यह है बादल साहेब के इन नौं रत्नों में काग्रेसी विधायक भी हैं -यानि की हमाम में सभी नंगे हैं !
केंद्र ने राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन के लिए २३१६.४६ करोड़ की राशि दे रखी है. फिर भी बाढ़ में घिरे किसानों को सरकारी मदद के नाम पर कोरे आश्वासनों के अतिरिक्त कुछ नहीं . थोड़ी बहुत सहायता संव्यमेवी संस्थाओं द्वारा पहुंचाई जा रही है. सबसे अधिक प्रभावित पटियाला ,मनसा और संगरूर जिलों में ३०० मकान गिरे हैं . अब सरकारी सहायता के तौर पक्के मकान के लिए २५०००/- और कच्चे मकान के लिए १००००/ की राशि निर्धारित है. और भूखे इंसान के लिए २०/- का खाना . आज की मैह्गाई में १००० ईंट का भाव ही ३५००/ है ...अब जिन बाढ़ पीड़ितों का सब कुछ लुट गया इस सहायता राशि- वह भी यदि मिल पाई ...तो क्या खाएंगे और क्या बनायेंगे?
रही बात हमारे जन प्रतिनिधियों की उनका 'सोम रस प्रेम ' किसी से छिपा नहीं. पहले शराब माफिया कैप्टन साहेब के साथ था और अब बादल साहेब के साथ. तभी तो बाढ़ में डूबे प्रदेश के 'आधुनिक रजवाड़े' बाढ़ के पानी की चिंता छोड़, शराब के पानी की जांच के लिए 'स्काट लैंड 'के लिए उड़ गए हैं .
हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ......
पंजाब भयंकर बाढ़ की चपेट में है और बदल साहेब के नौं रत्तन स्काट लैंड की तफरी पर गए हैं . सरकार के पास बाढ़ पीड़ितों के लिए धन का भारी 'टोटा '(कमीं) है , फिर भी अपने आठ विधायकों के लिए स्काट लैंड भ्रमण का जुगाड़ बना ही लिया गया. ये विधायक स्काट लैंड जा कर पता करेंगे की कैसे शराब के कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल से बचाव किया जाए . अब लोग यह न कहें की इन विधायको के पास कौन सी तकनिकी योग्यता है जिस के आधार पर ये प्रदूषण निरोधक जानकारी समझ पाएंगे . इस का भी हल तलाश लिया गया एक एक्सियन को भी अपने दल में शामिल कर हो गए 'बदल साहेब के नौं रतन'.
अब विरोधी दल कांग्रेस को भला कब हजम होती यह 'बादल नीति' , लगे विरोध जताने -पंजाब आसमानी बादलों की 'कृपा ' से बाढ़ में डूबा जा रहा है और ज़मीनी बादल साहेब के मंत्री आसमान में उड़ रहे हैं . इन्हें किसानो की और उनकी फसल की कोई प्रवाह नहीं . और तो और कांग्रेस के कैप्टन -महाराजा अमरेन्द्र सिंह भी यका यक कहीं से प्रकट हो गई और लगे किसानों की बदहाली पर आंसू बहाने -फसलें खराब हो रहीं हैं -गरीब दाने दाने को मोहताज़ है -यह कैसा बादल राज़ है. कैप्टन साहेब के इस रुदन पर हमारी भी आँखें रुदाली हो उठीं ! पिछले दिनों किसी पत्रकार ने खुलासा किया की पंजाब का लाखों टन आनाज खुले आसमान के नीचे सड रहा है और आनाज की संभाल के लिए बनाये गए सरकारी 'वेयर हाउसिस' शराब के ठेकेदारों को गोदाम के तौर पर लीज़ पर दे रखे हैं. बाद में राज़ खुला तो 'कैप्टन साहेब की कलई भी खुल गई. ये गोदाम कैप्टन साहेब ने अपने मुख्या मंत्री काल में अपने चहेते 'शराब माफियाओं 'को औने पौने दामों पर लीज़ पर दिए थे. यह है कैप्टन साहेब का किसान और उसकी फसल के प्रति प्रेम ?मज़े की बात तो यह है बादल साहेब के इन नौं रत्नों में काग्रेसी विधायक भी हैं -यानि की हमाम में सभी नंगे हैं !
केंद्र ने राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन के लिए २३१६.४६ करोड़ की राशि दे रखी है. फिर भी बाढ़ में घिरे किसानों को सरकारी मदद के नाम पर कोरे आश्वासनों के अतिरिक्त कुछ नहीं . थोड़ी बहुत सहायता संव्यमेवी संस्थाओं द्वारा पहुंचाई जा रही है. सबसे अधिक प्रभावित पटियाला ,मनसा और संगरूर जिलों में ३०० मकान गिरे हैं . अब सरकारी सहायता के तौर पक्के मकान के लिए २५०००/- और कच्चे मकान के लिए १००००/ की राशि निर्धारित है. और भूखे इंसान के लिए २०/- का खाना . आज की मैह्गाई में १००० ईंट का भाव ही ३५००/ है ...अब जिन बाढ़ पीड़ितों का सब कुछ लुट गया इस सहायता राशि- वह भी यदि मिल पाई ...तो क्या खाएंगे और क्या बनायेंगे?
रही बात हमारे जन प्रतिनिधियों की उनका 'सोम रस प्रेम ' किसी से छिपा नहीं. पहले शराब माफिया कैप्टन साहेब के साथ था और अब बादल साहेब के साथ. तभी तो बाढ़ में डूबे प्रदेश के 'आधुनिक रजवाड़े' बाढ़ के पानी की चिंता छोड़, शराब के पानी की जांच के लिए 'स्काट लैंड 'के लिए उड़ गए हैं .
हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ......
सोमवार, 5 जुलाई 2010
बदतर शहर दिल्ली.....
कहते हैं भीड़ के आँखें नहीं होती- सिफ आवाज़ होती है. कुछ ऐसी ही भीड़ से दो चार है हमारी दिल्ली !दिल्ली को अब विश्व के सबसे भीड़ भाड़ वाले बीस देशों में पांचवां स्थान प्राप्त है। पहला नंबर चीन की राजधानी बीजिंग को प्राप्त है ,दुसरे पायदान पर है मैक्सिको ,तीसरे पर जोहान्सबर्ग और चौथे पर रूस की राजधानी मास्को.... फिर भी हमारे राजनेता दिल्ली को विश्व स्तरीय नगर मानते हैं। हमारी शीला जी ने तो दिल्ली को कामन वेल्थ खेलों से पहले ही ओलम्पिक स्पर्धा के लिए तैयार करार दे दिया। अब शीला जी आगामी कामनवेल्थ खेलों से पहले दिल्ली की भीड़ को कौनसा चश्मा पह्नायेंगी . यह तो तभी मालूम होगा जब ५० देशों के खिलाड़ी दिल्ली की भीड़ से रूबरू होंगें ।
२००१ में दिल्ली की आबादी १३,७८२,९७६ थी जो २००७ में बढ़ कर १.७० करोड़ को पार कर गई इस प्रकार हर साल लगभग ६ लाख महमान दिल्ली को अपना आशियाना बनाने के सपने संजोए ,यहीं के हो कर रह जाते हैं ।
एसा भी नहीं कि दिल्ली को देश का दिल बनाने वालों ने इस विकराल दक्ष प्रशन का कोई उत्तर ही न सोचा हो। १९६२ में जब दिल्ली का पहला मास्टर प्लान बनाया गया तब इस समस्या पर भी खूब माथा पच्ची की गई। दिल्ली से सटे राज्यों के प्रमुख शहरों के विकास की योजनाएं घडी गईं , मगर अमल किसी भी योजना पर नहीं किया गया। वी. पी. सिंह के साशन काल में नेशनल कैपिटल रीज़न प्लान बनाया गया और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के पांच पर्मुख शहरों का चयन कर काउंटर मेग्नेट क्षेत्रो को चिन्हित किया गया। यू. पी.के नगर बरेली, एम्.पी के ग्वालिअर ,हरियाणा के हिसार ,राजस्थान के कोटा और पंजाब के पटियाला को पहले चरण में विकसित करने का निर्णय लिया गया। यह योजना १९८५ में बनाई गई और आज २५ साल बीत जाने और करोड़ों रूपए स्वाहा करने के बाद भी वही' ढाक के तीन पात' । योजना के दूसरे चरण में ३ नए शहरों को इस योजना में शामिल कर लिया गया.ये नए शहर हैं हरियाणा का अम्बाला , उत्तर खंड का देहरादून और यू.पी.का कानपुर। वक्त के साथ साथ इस योजना में स्वाहा होने कि धान राशि भी बढती चली गई। नेहरूजी कि ११ वीं पांच वर्षीय योजना में इस के लिए १५००० करोड़ रूपए खर्चे जाएंगे । एशियन डवेलपमेंट बैंक और वर्ल्ड बैंक से ८००० करोड़ कर्जा भी लिया जायेगा।
इस योजना पर विशेषज्ञों की भी राय ली गई। विशेषज्ञों की मानें तो इस योजना को फ़ौरन बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह योजना दिल्ली कि ओर बढ़ रहे जन सैलाब को रोकने में पूर्णतया नाकाम रही है। क्योंकि कि इन शहरों से' दिल्ली दूर है '.फिर भी योजनाएं बदस्तूर ज़ारी हैं क्योंकि इन कि सफलता और असफलता से किसी का कोई सरोकार नहीं ... सरोकार तो है महज़ इन योजनाओं पर खर्च होने वाली विपुल धन राशि से ,जिस पर हमारे आधुनिक 'रजवाड़ों ' की गिद्ध दृष्टि लगी है। देश का दिल दिल्ली दिन ब दिन बद से भी बदतर शहर होता है तो हो जाए....
२००१ में दिल्ली की आबादी १३,७८२,९७६ थी जो २००७ में बढ़ कर १.७० करोड़ को पार कर गई इस प्रकार हर साल लगभग ६ लाख महमान दिल्ली को अपना आशियाना बनाने के सपने संजोए ,यहीं के हो कर रह जाते हैं ।
एसा भी नहीं कि दिल्ली को देश का दिल बनाने वालों ने इस विकराल दक्ष प्रशन का कोई उत्तर ही न सोचा हो। १९६२ में जब दिल्ली का पहला मास्टर प्लान बनाया गया तब इस समस्या पर भी खूब माथा पच्ची की गई। दिल्ली से सटे राज्यों के प्रमुख शहरों के विकास की योजनाएं घडी गईं , मगर अमल किसी भी योजना पर नहीं किया गया। वी. पी. सिंह के साशन काल में नेशनल कैपिटल रीज़न प्लान बनाया गया और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के पांच पर्मुख शहरों का चयन कर काउंटर मेग्नेट क्षेत्रो को चिन्हित किया गया। यू. पी.के नगर बरेली, एम्.पी के ग्वालिअर ,हरियाणा के हिसार ,राजस्थान के कोटा और पंजाब के पटियाला को पहले चरण में विकसित करने का निर्णय लिया गया। यह योजना १९८५ में बनाई गई और आज २५ साल बीत जाने और करोड़ों रूपए स्वाहा करने के बाद भी वही' ढाक के तीन पात' । योजना के दूसरे चरण में ३ नए शहरों को इस योजना में शामिल कर लिया गया.ये नए शहर हैं हरियाणा का अम्बाला , उत्तर खंड का देहरादून और यू.पी.का कानपुर। वक्त के साथ साथ इस योजना में स्वाहा होने कि धान राशि भी बढती चली गई। नेहरूजी कि ११ वीं पांच वर्षीय योजना में इस के लिए १५००० करोड़ रूपए खर्चे जाएंगे । एशियन डवेलपमेंट बैंक और वर्ल्ड बैंक से ८००० करोड़ कर्जा भी लिया जायेगा।
इस योजना पर विशेषज्ञों की भी राय ली गई। विशेषज्ञों की मानें तो इस योजना को फ़ौरन बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह योजना दिल्ली कि ओर बढ़ रहे जन सैलाब को रोकने में पूर्णतया नाकाम रही है। क्योंकि कि इन शहरों से' दिल्ली दूर है '.फिर भी योजनाएं बदस्तूर ज़ारी हैं क्योंकि इन कि सफलता और असफलता से किसी का कोई सरोकार नहीं ... सरोकार तो है महज़ इन योजनाओं पर खर्च होने वाली विपुल धन राशि से ,जिस पर हमारे आधुनिक 'रजवाड़ों ' की गिद्ध दृष्टि लगी है। देश का दिल दिल्ली दिन ब दिन बद से भी बदतर शहर होता है तो हो जाए....
सदस्यता लें
संदेश (Atom)