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उतिष्ठकौन्तेय
सोमवार, 24 अक्तूबर 2022
शुक्रवार, 29 जून 2018
सिकुलर सोच
एल आर गाँधी
इण्डिया के सभी सिकुलर खामोश थे बिलकुल बापू की माफिक ..... बापू के देस में ५६ कारसेवक जाहिर है ...हे राम ! को मानने वाले हिन्दू ! ट्रेन के डिब्बों में जला कर मार डाले ! हिन्दू ने तो जलना ही था जिन्दा जले या मुर्दा क्या फर्क पड़ता है ! सभी सिकुलर भी इसी लिए चुप थे कि हिन्दू की धार्मिक आस्था ...जलने की नियति को तो कोई आघात नहीं पहुँचाया गया !
यकायक सिकुलर समाज में कोहराम मच गया ! जब चंद कमियुनक हिन्दुओं ने मुस्लिम 'भाइयों 'को मार कर जलाना शुरू कर दिया ...सिकुलरों का कोहराम ' मारने ' पर कतई नहीं था ! अरे मुस्लिम को जलाना ... 'लाहौलविलाकूवत 'यह तो मुस्लिम भाईओं की मज़हबी आस्था पर 'प्रहार ' हुआ न ..... दफनाते तो बात और थी।
एक महा सैकुलर खबरी 'रविश ' ने तो विलाप करते करते अपनी घडी ही तोड़ डाली .... महान सैकुलर श्री श्री राज दीप जी सरदेसाई जी की तो घिघि ही बंध गई ! गोधरा के घर घर जा कर पूरी तफ्सील से काफिर हिन्दुओं की करतूत बयान की ! और तो और सरजी ने सरे आम ऐलान कर दिया कि जब तक एक हज़ार 'काफिरो ' को जलाया नहीं जाएगा तब तक वो अपनी कलम से केवल कलमा ही लिखेंगे !
इसे कहते हैं महात्मा गाँधी उर्फ़ बापू वाला सिकुलरिज़्म ......
सारे हिन्दुस्तान के सिकुलरों ने मोदी हटाओ सिकुलरिज़्म बचाओ की मुहीम इस कदर चलाई कि जन मानस 'मुहीम की ओवर डोज़ ' की उलटी कर बैठा .... मोदी को बापू के गुजरात से हटा कर 'धियासुदीन के वंशजों की ' गद्दी ' दिल्ली पर बैठा दिया।
बुधवार, 2 मई 2018
१३वां प्रदूषित शहर - पटियाला
१३वां प्रदूषित शहर - पटियाला
एल आर गाँधी
शाही शहर , बाग़ों की नगरी , रजवाड़ों की रियासत ..... पटियाला पैग के साथ साथ एक और 'तुरर्रा ' आज पटियालविओं की शान में जुड़ गया है ....... वह है 'प्रदूषित शहर ' का !
एल आर गाँधी
शाही शहर , बाग़ों की नगरी , रजवाड़ों की रियासत ..... पटियाला पैग के साथ साथ एक और 'तुरर्रा ' आज पटियालविओं की शान में जुड़ गया है ....... वह है 'प्रदूषित शहर ' का !
विश्व के १५ अति प्रदूषित नगरों में हमारे १४ नगरों पर यह 'कलंक ' नासिर हुआ है ....और शाही शहर का स्थान तेहरवां है ....संतोष की बात यह है कि हमारे साथ कतार में देश की राजधानी दिल्ली के साथ साथ मोदी जी की पवित्र नगरी वाराणसी उर्फ़ बनारस भी है।
पटियाला को सीएम की सिटी होने का भी गौरव प्राप्त है ..... अक्सर प्रदूषित नगरों में प्रदूषण का मुख्य कारण इंडस्ट्री को माना जाता है ...मगर नाम मात्र भी इंडस्ट्री न होने पर भी पटियालवी प्रदूषण का यह कलंक ' ढो रहे हैं .... पटियाला को देश का पहला 'हैबिटाट 'सिटी होने का भी गौरव प्राप्त है ..... ७० के दशक में छोटे राज कुमार श्री श्री संजय गाँधी जी ने इस योजना का श्री गणेश किया ...केंद्र का करोड़ो रूपया शाही शहर की सेहत संवारने पर खर्च किया गया ....मगर बागों का नगर और भी वीरान हो गया .
फिर वीपी सिंह के दौर में इस शहर पर फिर से केंद्र सरकार मेहरवान हुई ! इस बार इसे ५ काउंटरमैग्नेट ऑफ़ कैपिटल सिटीज़ में से एक चुना गया ... अकूत धन पटियाला की नुहार सधारने पर खर्च हुआ ...नतीजा वही ढाक के तीन पात।
पटियालविओं ने 'पटियाला पैंग ' पी पी के खूब भंगड़े पाए ' जदों साढे महाराजा साहेब पंजाब दे वज़ीर इ आला चुने गए ' ..... सब नूँ एह आस सी कि पटियाला हुन शर्तिया पैरिस बन जू गा ! खैर सात महीने के बाद आखिर इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुए ....महाराजा साहेब पटियाला पधारे और पटियाला की चहुमुखी तरक्की के लिए यक लख्त १००० करोड़ रूपए अलाट कर दिए .......' करप्ट ' कार्पोरेशन के एक कम साठ कार्पोरेट्ज़ की बांछें खिल गयी ..... पटियाला को पैरिस कैसे बनाया जाए की योजना बंदी अभी हो ही रही थी कि डब्ल्यू एच ओ ने पटियालविओं के माथे पर मोस्ट पॉल्यूटेड सिटी का 'कलंक ' चस्पा कर दिया। .......
हम तो समझे थे कि बरसात में बरसे गी शराब
आई बरसात और बरसात ने दिल तोड़ दिया !!!!!!!
गुरुवार, 16 मार्च 2017
राष्ट्र ध्वज फिर से अब्दाली के झंडा शाही के नीचे .... फिर से राष्ट्र ध्वज का अपमान ......
राष्ट्र ध्वज फिर से अब्दाली के झंडा शाही के नीचे ....
फिर से राष्ट्र ध्वज का अपमान ......
राष्ट्र ध्वज को फिर से अहमद शाह अब्दाली के झंडा शाही के इस्लामिक निशाँ (पोल) के नीचे फहरा दिया गया है ..... पांच दशक तक तो राष्ट्र ध्वज इस (पोल) पर ही फैहराता रहा .... किसी भी अफसर ने राष्ट्र ध्वज कोड के विपरीत हो रही अवमानना की ऒर ध्यान नहीं दिया .... जब एक पत्रकार द्वारा राष्ट्र ध्वज अवमानना का मुद्दा उठाया तो थोड़ी चूं -चा के बाद ,ध्वज को किला मुबारक की भीतरी ईमारत पर अलग से 'अब्दाली के पोल' से ऊंचा फहरा दिया गया। मगर सैकुलर शैतानों ने आक्रमणकारी अब्दाली के पोल को विरासत मान कर वहीँ रहने दिया।
अब क्यों कि किला मुबारक का विरासती स्वरुप निखारा जा रहा है तो राष्ट्र ध्वज को फिर से एक छोटे पोल पर फहरा कर अब्दाली के पोल के नीचे लगा दिया गया है
Ministry of home affairs vide its circular dated 19 January 2017 ,directed the concerned authorities throughout the country for the strict compliance of the provisions contained in 'Flag code of India 2002 ,and the prevention of Insult to the National Flag Act 1971 reg.
2.2 .viii) No other flag or bunting should be placed higher than or above or side by side with the National Flag , nor should any object including flowers or garlands or emblem be placed on or above the Flag-mast from which the flag is flown'.
अब्दाली उर्फ़ दुर्रानी कौन था .....
अफ़ग़ान आक्रांता जिसने भारत पर आठ बार हमला किया ..... सिखों के पवित्र स्थान 'हरमंदर साहिब ' को ध्वस्त किया ,हज़ारों सिख जवानों,स्त्रियों ,बूढ़ों व् बच्चों को क़त्ल किया ,जिसे वड्डा घल्लूघारा के नाम से जाना जाता है ..... हिंदुओं के पवित्र स्थान मथुरा ,वृन्दावन व् गोकुल में सैंकड़ों मंदिरों को तोडा ... एक हिन्दू के सर पर अपने सैनिकों के लिए ५/ इनाम रख दिया ... सिर्फ गोकुल में नागा साधुओं ने अब्दाली की सेना से लोहा लिया और तीन हज़ार सैनिक मार गिराए ..... दिल्ली की लूट उस वक्त के ३० करोड़ रूपए आंकी जाती है ..... कीला मुबारक पर चाँद तारा युक्त 'पोल' अब्दाली के झंडा शाही का है जिसे पटियाला रियासत के संस्थापक बाबा आला सिंह की सेवाओं से खुश हो कर अब्दाली ने इनाम दिया था , जिसे किले के प्राचीर पर फैहरा दिया गया .... और आज भी कायम है .....
सोमवार, 17 अक्तूबर 2016
निःशब्द
निःशब्द
एल आर गाँधी
अनादि काल से हम स्वर्गाभिलाषी रहे हैं ...... ऋषि -मुनियों ने वर्षों तपस्या की स्वर्ग की प्राप्ति के लिए। वनों में भटके ,वट वृक्षों की छाओं में प्रभु भक्ति में लीन ..... न खाने की सुध न सांसारिक जीवन का मोह ..... पर्वत शिखिर , कंदराओं , गुफाओं , आकाश -पाताल एक कर दिया ! बस स्वर्ग मिल जाए ! महर्षि विश्वामित्र की घोर तपस्या से तो इंद्र भी घबरा गए .... आखिर तपस्या भंग करने परम रूपसी अप्सरा मेनका को भेजा ..... ऋषिवर धोका खा गए ! हमारे जैसे तुच्छ प्राणियों की तो भला औकात ही क्या है !
कहते हैं स्वर्ग के सिंहासन पर वर्षा के देवता इंद्र 'आरूढ़ 'हैं ...सदैव मृगनयनी अप्सराओं से घिरे रहते हैं ..... नयनो से छलकती मस्ती और सोम रस का सरूर ,मृदंग और वीणा के मधुर स्वरों पर थिरकती लावण्यमयी -मृगनयनी अप्सराएं .... कौन नहीं चाहेगा ऐसे मादक सोम -सरोवर में डूब जाना।
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दो !
तेरा कातिल हूँ , मुझे डूब के मर जाने दो !!
हूरें तो जन्नत में भी हैं , मगर महज़ ७२ और साथ में २८ लौंडे भी .... आबे हयात है जिसमें शराब बहती है ..... मजे कितने ही लूटो , थकने का सवाल ही नहीं .... कितना ही खाओ ! ग़ुस्ल की कोई हाज़त नहीं ! बस जेहाद करना होगा ! दारुल इस्लाम के लिए ! जेहाद में मारे जाओगे तो जन्नत का एयर टिकट पक्का ,नो बुकिंग ,नो वीज़ा
हमको मालूम है ,जन्नत की हकीकत लेकिन !
दिल के बहलाने को ग़ालिब यह ख्याल अच्छा है !!
अरे भई ! कहाँ भटक रहे हो सदियों पुराने स्वर्ग और जन्नत के खावों ख्यालों में ! माडर्न ऋषि मुनि : आज के साइंसदानों ने आप की ख्वाब गाह बोले तो बैड -रूम में जन्नत और स्वर्ग मुहैया करवा दिया है ...... गर्मी है तो ए सी चला लो .... सर्दी तो ब्लोअर .... स्काच विस्की या फिर बीअर की बोतल खोलो ! टी वि ऑन करो ...' मन पसंद ' चैंनल लगाएं। इतनी सूंदर अप्सराएं कि हूरें उनके आगे पानी भरें !
जिसमें लाखों बरस की हूरें हों !
ऐसी जन्नत को क्या करे कोई !!
बुधवार, 5 अक्तूबर 2016
कज़री का सर्जिकल अप्रेसन
कज़री का सर्जिकल अप्रेसन
एल आर गाँधी
नीम की दातुन से कड़वी हुई जीभ को राहत पहुंचाने के चक्कर में ,दातुन दो फाड़ कर जीभ खुरच रहा था ,कि चोखी लामा की जानी पहचानी आवाज में 'राम -राम ' बाबू सुनाई दिया।
बाबू जीभ ही खुरचते रहोगे कि कभी आज की सुर्खी भी देखोगे ? हमने दातुन फेंक कर प्रश्नचिन्ह ? नज़रों से चोखी को निहारा ! चोखी ने भी टीवी चेनल पर बतियाते 'मीम अफ़ज़ल ' की माफिक फ़रमाया .... बाबू ! मेरे यार ने भी मोदी से पूछ ही लिया 'सर्जिकल ऑपरेशन ' का सबूत दो ! ..... आज तक मनमोहन जी ने भी तो हज़ारों सबूत दिए हैं ...एक आप भी दे दो .... हो जाओ पाक -साफ़ !
कजरी को ' बाबू' हम बचपन से जानते हैं ...... एक बार तो अपने 'अब्बू' से पूछ बैठे : अब्बू हमारा सर्जिकल फादर कौन है ? अब्बू भी ठहरे एक नंबर के मसखरे ! बोले बेटा ! .... इसका जवाब तो सिर्फ तुम्हारी 'अम्मी ' के पास है .... तुम ही पूछ लो ..... मेरी तो हिम्मत नहीं ! मैं तो सुहाग रात को भी बाहर ही खड़ा रहा ! सुई बालान के सभी लौंडे अंदर जा और आ रहे थे। चांदनी दिवाली को तुम आ गए .... तब भी मैं तो बाहर ही खड़ा था ,जब नर्स ने सर्जरी रूम से निकलते ही ऊंची आवाज़ में कहा 'मियां जी ' बधाई हो ! लफंगा हुआ है ! हमने नादान शौहर की मानिंद नर्स से शर्माते हुए पुछा .... सिस्टर ! यह 'लफंगा '? नर्स ने तपाक से जवाब दिया ! मियां छमाही बच्चे को यहाँ यही कहते हैं ..... न मालूम किसका है ?
और हाँ ! मेरी अंगूठी निगल गया ... मूयां ! मैंने तो शहद चटाया ! इतनी लंबी ज़ुबान ? ...शहद के साथ 'अंगूठी ' भी निगल गया !नार्मल बच्चे तो पैदा होते ही रोते हैं और यह लफंगा 'खांस ' रहा था ...लगता है पैदायशी 'राज यक्ष्मा ' का रोगी है और हाँ जीभ भी कुछ ज़्यादां ही लंबी है !
एल आर गाँधी
नीम की दातुन से कड़वी हुई जीभ को राहत पहुंचाने के चक्कर में ,दातुन दो फाड़ कर जीभ खुरच रहा था ,कि चोखी लामा की जानी पहचानी आवाज में 'राम -राम ' बाबू सुनाई दिया।
बाबू जीभ ही खुरचते रहोगे कि कभी आज की सुर्खी भी देखोगे ? हमने दातुन फेंक कर प्रश्नचिन्ह ? नज़रों से चोखी को निहारा ! चोखी ने भी टीवी चेनल पर बतियाते 'मीम अफ़ज़ल ' की माफिक फ़रमाया .... बाबू ! मेरे यार ने भी मोदी से पूछ ही लिया 'सर्जिकल ऑपरेशन ' का सबूत दो ! ..... आज तक मनमोहन जी ने भी तो हज़ारों सबूत दिए हैं ...एक आप भी दे दो .... हो जाओ पाक -साफ़ !
कजरी को ' बाबू' हम बचपन से जानते हैं ...... एक बार तो अपने 'अब्बू' से पूछ बैठे : अब्बू हमारा सर्जिकल फादर कौन है ? अब्बू भी ठहरे एक नंबर के मसखरे ! बोले बेटा ! .... इसका जवाब तो सिर्फ तुम्हारी 'अम्मी ' के पास है .... तुम ही पूछ लो ..... मेरी तो हिम्मत नहीं ! मैं तो सुहाग रात को भी बाहर ही खड़ा रहा ! सुई बालान के सभी लौंडे अंदर जा और आ रहे थे। चांदनी दिवाली को तुम आ गए .... तब भी मैं तो बाहर ही खड़ा था ,जब नर्स ने सर्जरी रूम से निकलते ही ऊंची आवाज़ में कहा 'मियां जी ' बधाई हो ! लफंगा हुआ है ! हमने नादान शौहर की मानिंद नर्स से शर्माते हुए पुछा .... सिस्टर ! यह 'लफंगा '? नर्स ने तपाक से जवाब दिया ! मियां छमाही बच्चे को यहाँ यही कहते हैं ..... न मालूम किसका है ?
और हाँ ! मेरी अंगूठी निगल गया ... मूयां ! मैंने तो शहद चटाया ! इतनी लंबी ज़ुबान ? ...शहद के साथ 'अंगूठी ' भी निगल गया !नार्मल बच्चे तो पैदा होते ही रोते हैं और यह लफंगा 'खांस ' रहा था ...लगता है पैदायशी 'राज यक्ष्मा ' का रोगी है और हाँ जीभ भी कुछ ज़्यादां ही लंबी है !
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